अंधविश्वास नहीं है सूतक और पातक, इसके पीछे छिपा है ये वैज्ञानिक कारण

Samachar Jagat | Friday, 05 Aug 2016 05:21:25 PM
sutak or patak

हिन्दू धर्म में सूतक और पातक दोनों का ही बहुत बड़ा महत्व है। सूतक लगने के बाद मंदिर में जाना वर्जित हो जाता है। घर के मंदिर में भी पूजा नहीं होती है। ये प्रक्रिया सभी हिंदू घरों में अपनाई जाती है। मन में यही प्रश्न उठता है कि ये सूतक और पातक क्या होते हैं। चलिए आपको बताते हैं इसके बारे में .....

क्या है सूतक :-

जब भी परिवार में किसी का जन्म होता है तो परिवार पर दस दिन के लिए सूतक लग जाता है। इस दौरान परिवार का कोई भी सदस्य ना तो किसी धार्मिक कार्य में भाग ले सकता है और ना ही मंदिर जा सकता है। उन्हें इन दस दिनों के लिए पूजा-पाठ से दूर रहना होता है। इसके अलावा बच्चे को जन्म देने वाली स्त्री का रसोईघर में जाना या घर का कोई काम करना तब तक वर्जित होता है जब तक कि घर में हवन ना हो जाए।

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कितने दिनों तक रहता है इसका असर :-

सूतक का संबंध ‘जन्म के’ निमित्त से हुई अशुद्धि से है। जन्म के अवसर पर जो नाल काटा जाता है और जन्म होने की प्रक्रिया में अन्य प्रकार की जो हिंसा होती है, उसमें लगने वाले दोष पाप के प्रायश्चित स्वरूप ‘सूतक’ माना जाता है।

10 दिन का सूतक माना है। प्रसूति (नवजात की मां) का 45 दिन का सूतक रहता है। प्रसूति स्थान 1 माह तक अशुद्ध रहता है। इसीलिए कई लोग जब भी अस्पताल से घर आते हैं तो स्नान करते हैं।

वैज्ञानिक कारण :-

जब बच्चे का जन्म होता है तो उसके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास भी नहीं हुआ होता। वह बहुत ही जल्द संक्रमण के दायरे में आ सकता है, इसलिए 10-30 दिनों की समयावधि में उसे बाहरी लोगों से दूर रखा जाता था, उसे घर से बाहर नहीं लेकर जाया जाता। यह कोई अंधविश्वास नहीं है बल्कि इसका मौलिक उद्देश्य स्त्री के शरीर को आराम देना और शिशु के स्वास्थ्य का ख्याल रखना है।

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क्या है पातक :-

पातक का संबंध ‘मरण के’ निमित्त हुई अशुद्धि से है। मरण के अवसर पर दाह संस्कार में जो हिंसा होती है, उसमें लगने वाले दोष पाप के प्रायश्चित स्वरूप ‘पातक’ माना जाता है।

वैज्ञानिक कारण :-

किसी लंबी और घातक बीमारी, एक्सिडेंट की वजह से या फिर वृद्धावस्था के कारण व्यक्ति की मृत्यु होती है। कारण चाहे कुछ भी हो लेकिन इन सभी की वजह से संक्रमण फैलने की संभावनाएं बहुत हद तक बढ़ जाती हैं। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि दाह-संस्कार के पश्चात स्नान आवश्यक है ताकि श्मशान घाट और घर के भीतर मौजूद कीटाणुओं से मुक्ति मिल सके।

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पालतू पशुओं का सूतक :-

सूतक का असर केवल किसी इंसान के जन्म पर ही नहीं होता है बल्कि अगर घर में पालतू पशु या जानवर हो तो उनके जन्म और मृत्यु पर भी इसका असर होता है।

घर के पालतू गाय, भैंस, घोड़ी, बकरी इत्यादि को घर में बच्चा होने पर 1 दिन का सूतक रहता है किन्तु घर से दूर-बाहर जन्म होने पर कोई सूतक नहीं रहता ।

 



 

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