नई दिल्ली। डीजल कारें पिछले कई महिनों से विवाद का मुद्दा बनी हुई है। खासतौर पर देश की राजधानी दिल्ली में में। दिल्ली सरकार और एनजीटी नें दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण स्तर को देखते हुए कई नियम को लागू किया है। जिसके अंतर्गत ऑड ईवन, 10 साल से अधिक डीजल वाहनों का पंयीकरण रद्द, डीजल वाहनों पर रोक जैसे नियम प्रमुख है।
डीजल वाहनों को लेकर उठाए गए कदमों से डीजल कारों की बिक्री पर भी इसका असर देखा गया है। जिसके मुताबिक देश में डीजल वाहनों के मुकाबले पेट्रोल कारों की बिक्री में ज्यादा इजाफा हुआ है।
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गूगल खबरों के अनुसार मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर सी भार्गव नें बताया कि 2020 तक सभी छोटी डीजल कारों का उत्पादन बंद हो जाएगा। उन्होंनें बताया कि वाहनों में कमर्शियल, पर्सनल, और दुपहिया वाहन हैं। पॉल्यूशन लेवल की बात करें तो इन सभी का स्तर अलग अलग है। वर्तमान में जो डीजल कारें बाजार मौजूद है वे यूरो 4 नॉर्म्स वाली हैं। बड़े डीजल वाहनों की रोक से खाद्द आपूर्ति प्रभावित हो सकती है इसलिए सरकार डीजल कारों को लेकर सख्त कदम उठा रही है।
भार्गव नें ऑटो सेक्टर में कैशलैसे फ्री इकोनॉमी को बेहतर बताया है। उन्होंनें कहा है यह देश और कार इंडस्ट्री के लिए अच्छा रहेगा। नोटबंदी से कुछ समय के लिए कारों की बिक्री कम हो सकती है, लेकिन एक लंबे समय के लिए इसका सकारात्मक असर दिखाई देगा।
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छोटी डीजल कारों के बंद होने का सबसे बड़ा कारण हो सकता है बड़ी और मंहगी डीजल कारों में यूरो 6 नॉमर्स का लागू होना। जिसके चलते कारों की कीमतो पर भी भारी असर देखनें को मिल सकता है। इसके लागू होनें पर डीजल कारों की कीमतो में करीब 1 लाख रुपए तक का इजाफा हो सकता है। वहीं कंपनियां छोटी डीजल कारों को बंद करना एक सही कदम साबित हो सकता है।
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