नई दिल्ली। भारत अगले साल जुलाई में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी आरसीईपी सम्मेलन की मेजबानी कर सकता है। इसका मकसद 16 सदस्य देशों में वस्तु एवं सेवा के क्षेत्र में व्यापार के लिए नियमों को उदार बनाना है तथा निवेश को बढ़ावा देना है। एक अधिकारी ने कहा, यह क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी की महत्वपूर्ण बैठक है।
फिलहाल सदस्य देश शुल्क छूट में एकल स्तरीय व्यवस्था पर विचार कर रहे हैं। इस व्यवस्था के तहत सदस्य देशों को वस्तुओं की अधिकतम संख्या को अंतिम रूप देना है जिसपर शुल्क को या तो खत्म किया जाएगा या उसमें उल्लेखनीय कटौती की जाएगी। समझौते में वस्तु, सेवा, निवेश, आर्थिक तथा तकनीकी सहयोग, प्रतिस्पर्धा और बौद्धिक संपदा अधिकार को शामिल करने का मकसद है।
समझौते को लेकर बातचीत नवंबर 2012 में नोम-पेन्ह में शुरू हुई। 16 सदस्य देशों की विश्व अर्थव्यवस्था में एक चौथाई हिस्सेदारी है। विश्व अर्थव्यवस्था का आकार करीब 75,000 अरब डालर से अधिक है।
सोलह सदस्यीय आरसीईपी में 10 आसियान देश ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमा, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपीन, लाओस तथा वियतनाम तथा छह एफटीए भागीदार....भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड हैं।