नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि क्षेत्र में सदाबहार क्रांति पर जोर दिया है ताकि कृषि क्षेत्र के समक्ष आने वाली चुनौतियों का सामना किया जा सके।
मोदी ने ‘खाद्य सुरक्षा’ के बाद अब ‘पोषण सुरक्षा’ की अवधारणा को अपनाए जाने जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप की जरूरत है। मोदी प्रधानमंत्री निवास पर एक कार्यक्रम में बोल रहे थे जहां उन्होंने प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन पर दो खंडों की पुस्तक का विमोचन किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार इस दिशा में काम कर रही है, जिससे 2022 को जब देश अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा तो किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि आबादी बढ़ रही है लेकिन जमीन नहीं बढ़ेगी। हमें यह देखना होगा कि उत्पादकता कैसे बढ़ाई जाए। कैसे कम भूमि पर अधिक उत्पादन हासिल किया जाए।
मोदी ने कहा कि कृषि क्षेत्र में चुनौती कायम है। हम हरित क्रांति एक और हरित क्रांति दो की बात करते हैं, लेकिन हमारा लक्ष्य सदाबहार क्रांति का होना चाहिए। कृषि उत्पादन स्वस्थ तरीके से बढऩा चाहिए।
उन्होंने कहा कि कुपोषण एक चुनौती है। ऐसे में दालों के पोषक तत्व में सुधार होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने देश के विभिन्न अंचलों में आर्थिक संतुलन का उल्लेख किया और कहा कि इसे दूर किया जाना चाहिए क्योंकि देश में ज्यादा समय तक क्षेत्रीय असंतुलन का होना ठीक नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी ने देश के विभिन्न क्षेत्रों की क्षमताओं का खाका खींचने की जरूरत है। उन्होंने कृषि के परंपरागत तरीके और वैज्ञानिक तरीके के एकीकरण का सुझाव दिया।
किसानों की आमदनी को 2022 तक दोगुना करने के सरकार के लक्ष्य पर मोदी ने कहा कि स्वामीनाथन ने हाल में उन्हें कुछ सुझाव दिए है जिन पर वह काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसके पीछे विचार कम लागत, अधिक उत्पादन’ का है।
मोदी ने कृषि क्षेत्र मेें अधिक वैज्ञानिक अनुसंधानों की जरूरत पर बल देते हए ‘हर बूंद, अधिक फसल’ और प्रयोगशाला से भूमि जैसे नारों का जिक्र किया।
सरकारी कार्यक्रमों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल बीमा में इसे पेश किए जाने के एक साल के भीतर सात गुना का इजाफा हुआ है।
उन्होंने कहा कि यूरिया पर नीम की कोटिंग के बाद इसकी ‘चोरी’ रुकी है और उर्वकर की खपत भी इसके उत्पादन को प्रभावित किए बिना नीचे आई है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और नदियों को जोडऩे की योजनाओं का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि लागत दक्ष खेती के लिए पानी की जरूरत है।
मोदी ने कहा कि देश में सीमान्त किसानों की संख्या 85 प्रतिशत है। ऐसे में कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी की जानकारी के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। उन्होंने महात्मा गांधी के शब्दों का उल्लेख किया। महात्मा गांधी ने कहा था कि भूखे के लिए भोजन भगवान है।
मोदी ने इस बात पर क्षोभ जताया कि आज का युवा खिलाडिय़ों, फिल्म कलाकारों, यहां तक राजनीतिज्ञों से प्रभावित होता है, लेकिन वह स्वामीनाथन जैसे वैज्ञानिकों से प्रभावित नहीं होता।