जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने सागर जिले में नौ वर्षीय बालिका के साथ दुराचार और हत्या के मामले में आरोपी को जिला अदालत के फांसी की सजा देने के निर्णय को उम्र कैद में बदल दिया है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जे के महेश्वरी व न्यायाधीश ए के श्रीवास्तव की एकलपीठ ने मौत का कारण स्पष्ट नहीं होने के कारण फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया है।
अभियोजन के अनुसार सागर जिले के ग्राम उजनेट में 13 अप्रैल 2017 को नौ वर्षीय बालिका अपने घर से खेत में महुआ बीनने गई थी। बच्ची शाम तक घर लौटकर नहीं आई तो परिजन उसे ढूंढऩे निकले। शक होने पर परिजन खेत के पास ही बने सुनील (21) के टपरे पर गए, जहां तलाशी लेने पर नाबालिग लडक़ी की लाश प्लास्टिक की बोरी में बंद मिली।
पुलिस ने घटना के चंद घंटे के बाद ही आरोपी सुनील को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ हत्या, बलात्कार तथा पाक्सो एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया था। परिस्थितिजन्य साक्ष्य व गवाह के वयान के आधार पर सागर जिला न्यायालय ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए इसी साल 19 जून को धारा 376 (क) के तहत मृत्युदंड और धारा 302 के आरोप में आजीवन कारावास सुनाया था।
जिला न्यायालय ने फांसी की सजा की पुष्टि के लिए प्रकरण को उच्च न्यायालय भेजा था। प्रकरण की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बच्ची की मौत का कारण दम घुटना बताया गया है। गला घोंटकर बच्ची की हत्या करने का उल्लेख पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नहीं है। मृत्यु का कारण स्पष्ट नहीं होने के कारण युगलपीठ ने फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया। याचिका की सुनवाई के दौरान आरोपी की तरफ से अधिवक्ता पी सी गहरवार ने पैरवी की। एजेंसी