जयपुर। राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित सेवानिवृत्त अध्यापक रामावतार शर्मा पिछले करीब छह दशकों से अतिरिक्त वेतन वृद्धि का इंतजार कर रहे हैं। राजस्थान के एक गांव में अपनी पहली नियुक्ति के दौरान विद्यार्थियों की संख्या दोगुनी करने की एवज में शर्मा को अतिरिक्त वेतन वृद्धि दी जानी थी, शर्मा अब 80 वर्ष के हैं। झुंझुनूं जिले में चिडावा कस्बे के निवासी सेवानिवृत्त अध्यापक रामावतार शर्मा अतिरिक्त वेतन वृद्धि के लिए जयपुर के सचिवालय में अधिकारियों के पास 1962 से चक्कर लगा रहे हैं। शर्मा के पास अधिकारियों से मिलने के लिए सचिवालय में प्रवेश के अब तक 170 पास बनाए जाने के प्रमाण मौजूद है।
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शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपने अधिकार को पाने के लिए लाखों रूपए खर्च कर दिए हैं और इस सम्मान को पाने के लिए उन्होंने कई ठोकरें खाई है। उन्होंने बताया कि इसके संबंध में उन्हें 11 जून (आज) होने वाली राजस्थान मंत्रिमंडल की उपसमिति में बुलाया गया है। उन्हें उम्मीद है कि उपसमिति उनके पक्ष में निर्णय लेगी। शर्मा ने वर्ष 1958 में बाडमेर जिले के पादरू गांव में सरकारी अध्यापक के रूप में नौकरी शुरू की थी।
उन्होंने बताया कि नौकरी के दो साल बाद राजस्थान पंचायत समिति की घोषणा के अनुसार जो अध्यापक अपने विद्यालय में एक वर्ष तक बिना ड्राप आउट के विद्यार्थियों की संख्या दोगुनी करेगा उसे दोगुना वेतन वृद्धि दी जाएगी। शर्मा के रिकार्ड के अनुसार उस समय उनके विद्यालय में 38 विद्यार्थी थे जिनकी संख्या वर्ष 1960-61 में बढ़कर 138 हो गई थी। उन्होंने दावा किया कि दोगुनी वेतन वृद्धि से संबंधित फाइल को बाडमेर से जयपुर के पंचायती राज विभाग पहुंचने में 16 वर्ष लग गए। जिला कलेक्टर की रिपोर्ट के बाद यह फाइल जयपुर के पंचायती राज विभाग में वर्ष 1977 में पहुंची।
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उन्होंने बताया कि एक बार यह भी बताया गया कि फाइल गुम हो गई, लेकिन बाद में फाइल मिल गई। उन्होंने कहा कि संभवतयाः फाइल गुम होने की खबर के बाद उनकी पत्नी को दिमागी पक्षाघात हो गया था और वह लकवा से पीडित हो गई थी। शर्मा को अपने कार्यकाल के दौरान कई पुरस्कारों से नवाजा गया था। 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वी पी सिंह ने समाज विकास के लिए उन्हें सम्मानित किया।
शर्मा को 1997 में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान के साथ-साथ उसके अगले वर्ष तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायण ने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया, लेकिन सरकार की ओर से किए गए वादे के अनुसार उनके कार्य की पहचान के बदले दोगुनी वेतन वृद्धि से अभी भी वह वंचित हैं । राजस्थान के संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड, जो मंत्रिमंडलीय उपसमिति के सदस्य भी है, ने बताया कि मामले को पहले ही राज्य वित्त विभाग के पास अनुशंसा के लिए भेजा जा चुका है। उन्होंने माना कि मामला बहुत लंबे समय से लंबित है। -एजेंसी