कहा जाता है कि इलाज करवाने से बेहतर है कि हम एहतियात बरतें, ताकि हम बीमार ही न हों। माना कि कई बीमारियों से हम बच नहीं सकते। लेकिन हम कुछ ऐसे कदम ज़रूर उठा सकते हैं, जिन्हें अपनाने से बीमारी होने का खतरा कम हो सकता है और कई मामलों में तो शायद हमें बीमारी हो ही नहीं।
हममें से कोई भी बीमार नहीं पड़ना चाहता है। जब हम बीमार पड़ते हैं, तो हमें बहुत परेशानी होती है, ऊपर से इसका खर्चा भी उठाना पड़ता है। हमें कुछ अच्छा नहीं लगता। न हम स्कूल जा पाते हैं, न ही काम की जगह पर। पैसा कमाना तो दूर, हम घरवालों की मदद तक नहीं कर सकते। उलटा शायद उन्हें हमारी देखभाल करनी पड़े। और-तो-और, कई बार इलाज करवाने और दवाइयाँ खरीदने के लिए बहुत पैसा लग जाता है।
हम अक्सर घरों में में बहुत सारा सामान जुटा लेते है, जिसकी हमें जरूरत भी नहीं होती है। इगर आपको भी ये आदत है तो बदल दीजिए।
पुराना ब्रश बदले
टूथब्रश को लगभग 3 से 4 महीने या रेशों के फैल जाने की स्थित में और जल्दी बदल देना चाहिये। अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन यह सुझाव देता है कि अपने ब्रश को हमेशा 3 महीने के अंतराल पर बदलते रहना चाहिए। क्योंकि 3 महीने के बाद ब्रश के ब्रिस्टल्स टूटने लगते हैं। इसलिए समय पर ब्रश को बदल देना चाहिए। एक अनुमान के मुताबिक, खुले टूथब्रश में 10 करोड़ से ज्यादा जीवाणु होते हैं जिनमें ई कोलाई (जिनसे डायरिया होता है) और स्टैफाइलोकॉकाई (जिनसे त्वचा में संक्रमण होता है) शामिल हैं।
प्लास्टिक के बर्तन का इस्तेमाल न करे
घर के सामान को रखने के लिए यहां तक पीने के पानी के लिए भी ज्यादातर प्लास्टिक की बोतल और डिब्बों का प्रयोग किया जाता है। पर ये प्लास्टिक आपके शरीर में विषैले तत्वों को पहुंचाने का काम करते है। इस बात की पुष्टि कई शोध कर चुके है। प्लास्टिक के बर्तनों में खाना गर्म करने या फिर धूप में उसके रहने के कारण उसमें केमिकल डाइऑक्सिन का रिसाव शुरू हो जाता है। यह डाईऑक्सिन पानी में घुलकर हमारे शरीर में पहुंचता है और यही डाइऑक्सिन हमारे शरीर में मौजूद कोशिकाओं पर बुरा असर डालता है। इसकी वजह से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है।प्लास्टिक की बोतल में प्रयोग की जोन वाली बाइसफेनोल ए के कारण दिमाग के कार्यकलाप प्रभावित हो जाते हैं, जिसके कारण इंसान की समझने और याद रखने की शक्ति कम होने लगती है।
एंटीबैक्टीरियल साबुन का प्रयोग न करे
एंटीबैक्टीरियल साबुन का प्रयोग वैसे तो कीटाणुओं का सफाया करने के लिए किया जाता है। पर एक शोध के मुताबिक इसका ज्यादा प्रयोग आपके स्वास्थ्य और सेक्स लाइफ को प्रभावित कर सकता है। एंटीबैक्टीरियल साबुन में इस्तेमाल होने वाला ट्राइक्लोजन नामक रसायन शरीर के लिए नुकसानदायक है।इसके संपर्क से त्वचा रसायनों को अधिक सोखती है जिस कारण शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। सरफेक्टेन्ट एक प्रकार का रसायन है, जोकि पानी और साबुन का मिश्रण होता है। यह गंदगी को तो दूर करता है लेकिन इससे त्वचा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
पुराने कपड़े
आपको पुराने कपड़े इक्ठ्ठा करने का शौक तो नहीं है ना। वर्ना आपका ये शौक आपको शॉक दे सकता है। इसलिए जो कपड़े पुराने हो चुके हैं या जिसके फैब्रिक में ढीलापन आ गया है उन्हें आप या तो फेंक दें या फिर किसी जरुरतमंद को दान दे दें। वैसे भी आप उन्हे दोबारा नहीं पहनने वाले। हां इन कपड़ो को देख देख कर आपको सिर्फ तनाव ही होगा। ऐसा हम नहीं कह रहें है बल्कि एक शोध का दावा है।
डाइट सोडा का सेवन
अगर आप वजन कम करपने के लिए डाइट सोडा का सेवन कर रहे है, तो भूल जाइये कि कुछ फायदा होने वाला है। एक शोध के अनुसार डाइट सोडा में कैलोरी भले ही कम हो लेकिन इसके सेवन के बाद अधिक कैलोरी लेने की इच्छा तेज हो जाती है। इसका सेवन करने वाले लोगों को मोटापे का रिस्क 41 प्रतिशत अधिक होता है। 12 आउंस सोडा रोज पीने से डायबिटीज होने का खतरा 22 फीसदी बढ़ता है।