शीतलहर की दस्तक के साथ ही जहा एक और लोग अपने तन को ढकने के लिए गर्म कपड़ो का इस्तमाल कर रहे है वही दूसरी और शरीर को आंतरिक ऊर्जा देने के लिए भोजन में भी गर्म चीज़े जैसे तिल, मूंगफली का इस्तमाल कर रहे है।
सर्दी बढ़ने के साथ साथ लोगों के खान पान में बदलाव आया है। इसमें सबसे ज्यादा तिल के व्यंजनों को काम में लिया जा रहा है। तिल शरीर को गरमास देने के साथ ही शरीर को तंदुरुस्त रखता है और शारीरिक गरमाहट लाता है। राजस्थान संस्कृति जहाँ अपनी विविधता और समृद्धता के लिए मानी जाती है वही इसका खान पान भी देशभर में प्रसिद्ध है। सर्दी बढ़ते ही तिल के कारोबार में भी रौनक आई है। बाज़ारो में अलग अलग 20 से 25 प्रकार की तिल के व्यंजन बाज़ारो में बिक रही है। गुड़ गजक, बीकानेर की तिल पपड़ी, अजमेर की डॉयफ्रूइट गजक, पिस्ता गजक।
आमतौर पर शरद ऋतू आते ही तिल के व्यंजन बाज़ारों में बिकना शुरू हो जाते है लेकिन इस बार सर्दी लेट आने से इनके व्यंजनों पर भी प्रभाव पड़ा है। बाज़ारों में तिल ने अब जोर पकड़ा है वही माना जाता है की मकर संक्रत्रि पर तिल के व्यंजन बनाना शुभ रहता है। पहले कम ही जगहों पर गजक को बनाया जाता था लेकिन अब गली गली में गजक को बनाते और बेचते हुए मिल जायेंगे। चीनी और गुड़ दोनों में गजक को बनाया जाता लेकिन गुड़ की गजक को ज्यादा पसंद किया जा रहा है।
सर्दी बढ़ने के साथ ही गजक की दुकानों पर भीड़ के साथ ही अलग अलग गजक भी उपलब्ध है। सर्दियों में तिल शरीर के रोग को दूर करने के साथ फायदेमंद भी साबित होता है।