वास्तु शास्त्र और होली के विभिन्न रंगों का आपस में घनिष्ठ संबंध है। प्रकृति की हर ऋतु में विशिष्ट रंग है। होली के दिन स्वास्थ्य और धन लाभ के लिए भी वास्तुशास्त्र में उपाय बताए गए हैं चलिए आपको बताते हैं होली के रंग और वास्तु के कुछ उपायों के बारे में....
होली में गुलाबी रंग का विशेष महत्व होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार गुलाबी रंग पसंद करने वाले जातक शरीर से कमजोर होने के बावजूद मन से मजबूत होते हैं, किंतु ऐसे व्यक्ति दिखावे पर अधिक विश्वास करते हैं।
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वास्तुशास्त्र के अनुसार केशरिया रंग परिवर्तन का प्रतीक है।
लाल रंग मनुष्य को स्वस्थ, यशस्वी, गौरवशाली बनाता है। यह सौभाग्य, मादकता, यौवन का प्रतीक होने के साथ महिलाओं में सुहाग का प्रतीक भी लाल रंग को ही माना जाता है।
वास्तुशास्त्र के अनुसार आपके परिवार में यदि कोई लंबे समय से बीमार चल रहा है तो इसके लिए होली की रात को सफेद कपड़े में 11 गोमती चक्र, नागकेसर के 21 जोड़े और 11 कोड़ियां बांधकर कपड़े में चंदन का इत्र लगाएं। इस पोटली को रोगी पर सात बार उतारें और फिर किसी शिव मंदिर में अर्पित करें। इससे रोगी ठीक होने लगेगा।
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होली की राख को घर के चारों ओर और दरवाजे पर छिड़कें। ऐसा करने से घर में नकारात्मक शक्तियों का घर में प्रवेश नहीं होता है। माना जाता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।
वास्तुशास्त्र के अनुसार होलिका दहन की रात को अगर घर के सभी सदस्यों को सरसों का उबटन बनाकर पूरे शरीर पर मालिश करें और और फिर जो मैल निकले उसे होलिका में डाल दें, इससे दूसरे के जादू टोने का असर खत्म होता है।
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