भगवान की पूजा कभी भी की जा सकती है उसके लिए दिन या रात देखने की आवश्यकता नहीं है। केवल हनुमान जी की पूजा के लिए यह नियम है कि आधे प्रहर यानी 12 से 1 बजे के बीच हनुमान जी की पूजा नहीं की जानी चाहिए। लेकिन दिन और रात में पूजा करने के अलग-अलग विधान बताए गए है। इन्हीं नियमों के अनुसार पूजा करनी चाहिए।
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अगर आप रात में यानी सूर्यास्त के बाद पूजा कर रहे हैं तो शंख नहीं बजाना चाहिए। सूर्यास्त के बाद देवता सोने के लिए चले जाते हैं। शंख ध्वनि से उनकी निद्रा बाधित होती है। माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद शंख बजाने से लाभ की बजाय हानि होती है।
सूर्य भगवान की पूजा दिन में की जाती हैं। इसलिए दिन में अगर कोई विशेष पूजा कर रहे हैं तो साथ में सूर्य की पूजा भी जरूर करनी चाहिए। लेकिन रात्रि में पूजा कर रहे हों तब सूर्य की पूजा नहीं करनी चाहिए।
भगवान विष्णु, कृष्ण, सत्यनारायण की पूजा में तुलसी की आवश्यकता होती है। तुलसी पत्ता के बिना इनकी पूजा पूर्ण नहीं होती है। इसलिए अगर रात में पूजा करनी हो तब दिन के समय ही तुलसी पत्ता तोड़ कर रख लें।
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गणेश जी की पूजा में दूर्वा का प्रयोग होता है। भगवान शिव, सरस्वती, लक्ष्मी और दूसरे देवताओं को भी दूर्वा चढ़ता है। इसलिए रात में पूजा करनी हो तो दिन में ही दूर्वा तोड़कर रख लेना चाहिए।
रात में पूजा करें तो पूजा में इस्तेमाल फूल, अक्षत और दूसरी चीजों को रात भर रहने दें। इन्हें सुबह अपने स्थान से हटाना चाहिए।