नवरात्र सातवां दिन : पापियों का नाश करती हैं मां कालरात्रि

Samachar Jagat | Monday, 03 Apr 2017 07:06:05 AM
Navaratri seventh day Mother Kalaratri Destroy the sinners

नवरात्र की सप्तमी तिथि को देवी कालरात्रि की पूजा-उपासना की जाती है। देवी कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयंकार है, देवी कालरात्रि का यह भय उत्पन्न करने वाला स्वरूप केवल पापियों का नाश करने के लिए है। मां कालरात्रि अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करने वाली होती हैं इस कारण इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है। देवी कालरात्रि का रंग काजल के समान काले रंग का है जो अमावस की रात्रि से भी अधिक काला है इनका वर्ण अंधकार की भांति कालिमा लिए हुए है। देवी कालरात्रि का रंग काला होने पर भी कांतिमय और अद्भुत दिखाई देता है।

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शास्त्रों में देवी कालरात्रि को त्रिनेत्री कहा गया है अतः इनके तीन नेत्र ब्रह्माण्ड की तरह विशाल हैं, जिनमें से बिजली की भांति किरणें प्रज्वलित हो रही हैं तथा देवी अपने भक्तों पर अनुकम्पा की दृष्टि रख रही हैं। इनके बाल खुले और बिखरे हुए हैं जो की हवा में लहरा रहे हैं। कंठ में विद्युत की चमक वाली माला है।

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इनकी नासिका से श्वास तथा निःश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं। शास्त्रों में इन्हें चतुर्भुजी कहा गया है अतः इनकी चार भुजाएं हैं दायीं ओर की ऊपरी भुजा से महामाया भक्तों को वरदान दे रही हैं और नीचे की भुजा से अभय का आशीर्वाद प्रदान कर रही हैं। बायीं भुजा में क्रमशः तलवार और खड्ग धारण किया है। शास्त्रों के अनुसार देवी कालरात्रि गर्दभ (गधे) पर विराजमान हैं।

पूजा करते समय करें इस मंत्र का जाप :-

श्लोकः या देवी सर्वभूतेषु कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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