फूल ईश्वर की वह रचना है, जिसकी खुशबू से हमारे घर की नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं, इसकी खुशबू मन को शांति देती है। वैसे तो भगवान भक्ति के भूखे हैं, लेकिन भगवान को प्रसन्न करने के लिए उन पर उनके प्रिय फूलों को चढ़ाने की मान्यता भी है। ये ध्यान रखना चाहिए की भगवान की पूजा में सूखे फूल न चढ़ाए जाएं। हम आपको बता रहे हैं कौनसे भगवान की पूजा किस फूल से करनी चाहिए....
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भगवान श्रीगणेश :-
भगवान श्रीगणेश को तुलसीदल को छोड़कर सभी प्रकार के फूल चढ़ाए जा सकते हैं। तुलसी से गणेश जी की पूजा कभी न करें। गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा है। गणेश जी को दूर्वा बहुत ही प्रिय है। दूर्वा के ऊपरी हिस्से पर तीन या पांच पत्तियां हों तो बहुत ही उत्तम है।
भगवान शंकर :-
भगवान शंकर को धतूरे के पुष्प, हरसिंगार व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि के पुष्प चढ़ाने का विधान है। भगवान शंकर को धतूरे का फूल सबसे अधिक प्रिय है। इसके अलावा इनको बेलपत्र और शमी पत्र चढ़ाना बहुत ही शुभ माना जाता है। भगवान शिव जी को सेमल, कदम्ब, अनार, शिरीष , माधवी, केवड़ा, मालती, जूही और कपास के पुष्प नहीं चढ़ाए जाते है ।
सूर्य नारायण-
इनकी उपासना कुटज के पुष्पों से की जाती है। इसके अलावा इन्हें आक, कनेर, कमल, चंपा, पलाश, अशोक, बेला, आक, मालती, आदि के पुष्प भी प्रिय हैं। सूर्य भगवान पर यदि एक आक का फूल चढ़ाया जाए तो इससे स्वर्ण की दस अशर्फियों को चढ़ाने जैसा ही फल मिल जाता है। भगवान सूर्य को लाल फूल बहुत ही पसंद है ।
भगवती गौरी-
शंकर भगवान को चढ़ने वाले पुष्प मां भगवती को भी प्रिय हैं। इसके अलावा बेला, सफेद कमल, पलाश, चंपा के फूल भी चढ़ाए जा सकते हैं।
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माँ दुर्गा-
माँ दुर्गा को लाल रंग के पुष्प विशेषकर लाल गुलाब और गुड़हल का फूल बहुत प्रिय है। नवरात्री और प्रति शुक्रवार को माँ को लाल गुलाब या लाल गुड़हल के फूलो की माला चढ़ाने से सभी तरह के आर्थिक संकट अवश्य ही दूर होते है । माता दुर्गा को बेला, अशोक, माधवी, केवड़ा, अमलतास के फूल भी चढ़ाए जाते है। दुर्गा जी को आक और मदार के फूल भी नहीं चढ़ाने चाहिए ।
श्रीकृष्ण-
अपने प्रिय पुष्पों का उल्लेख महाभारत में युधिष्ठिर से करते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं- मुझे कुमुद, करवरी, चणक, मालती, नंदिक, पलाश व वनमाला के फूल प्रिय हैं।
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