वर्तमान में व्यक्ति की उम्र लगातार घटती जा रही है, जहां पहले व्यक्ति 100 साल की उम्र तक स्वस्थ होकर जीवन यापन करता था वही अब 50 साल में ही बीमारियां व्यक्ति का घेर लेती हैं और 60-70 साल की उम्र से ज्यादा व्यक्ति नहीं जी पाता है। इसका कारण बदलती दिनचर्या है, आज व्यक्ति के खान-पान और आदतों में बदलाव आया है। जिसकी वजह से व्यक्ति की आयु कम होती जा रही है।
आपको बता दें कि ग्रंथां में बहुत से ऐसे उपाय बताए गए हैं अगर उन्हें अपनाया जाए तो व्यक्ति अपनी पूरी आयु आराम से जी सकता है। इन आदतों के बारे में महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था। आइए आपको बताते हैं किन कामों को करने से घटती है उम्र.....
जो मनुष्य तिनके तोड़ता है, नाखून चबाता है तथा हमेशा अशुद्ध व चंचल रहता है, उसकी जल्दी ही मृत्यु हो जाती है।
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उदय, अस्त, ग्रहण एवं दिन के समय सूर्य की ओर देखने वाले मनुष्य की मृत्यु भी अल्पायु में हो जाती है।
नास्तिक, क्रियाहीन, गुरु और शास्त्र की आज्ञा का उल्लंघन करने वाले तथा धर्म को न जानने वाले दुराचारी मनुष्यों की आयु कम हो जाती है।
जो मनुष्य दूसरे वर्ण (जाति या धर्म) की स्त्रियों से संपर्क रखते हैं, वे भी जल्दी ही मृत्यु को प्राप्त होते हैं।
केशों को संवारना, आंखों में अंजन लगाना, दांत-मुंह धोना और देवताओं का पूजन करना- ये सभी कार्य दिन के पहले पहर में ही करना चाहिए। जो मनुष्य ये सभी कार्य समय पर नहीं करते, वे शीघ्र ही काल का शिकार हो जाते हैं।
मल-मूत्र की ओर देखने वाले, पैर पर पैर रखने वाले, दोनों ही पक्षों (कृष्ण व शुक्ल पक्ष) की चतुर्दशी व अष्टमी तथा अमावस्या व पूर्णिमा के दिन स्त्री समागम करने वाले मनुष्यों की मृत्यु कम उम्र में ही हो जाती है।
जो मनुष्य सूर्योदय होने तक सोता है तथा ऐसा करने पर प्रायश्चित भी नहीं करता, वह मनुष्य जल्दी ही मृत्यु को प्राप्त होता है।
अमावस्या तिथि को दूसरे का अन्न खाने वाले के महीने भर के पुण्य नष्ट हो जाते है
बोए हुए खेत में, गांव के आस-पास तथा पानी में मल-मूत्र त्याग करने वाला, परोसे हुए अन्न की निंदा करने वाला, भोजन से पूर्व आचमन नहीं करने वाला तथा भोजन करते समय बोलने वाले मनुष्य की आयु कम हो जाती है।
सिर पर तेल लगाने के बाद उसी हाथ से दूसरे अंगों का स्पर्श नहीं करना चाहिए। जूठे मुंह पढऩा-पढ़ाना कदापि उचित नहीं है, ऐसा करने से आयु का नाश होता है।
अधिक उम्र चाहने वाले मनुष्य को पीपल, बड़ और गूलर के फल का तथा सन के साग का सेवन नहीं करना चाहिए। हाथ में नमक लेकर नहीं चाटना चाहिए।
भोजन करके हाथ-मुंह धोए बिना मनुष्य अपवित्र रहता है, ऐसी अवस्था में अग्नि, गाय तथा ब्राह्मण का स्पर्श करने वाले को शीघ्र ही यमदूत ले जाते हैं।