भारत देश के हर हिस्से में सरकार है और धर्म व पैसा भी है, फिर आखिर ऐसा कौन सा शहर है यहां। सबसे बड़ी बात तो यह कि यह शहर दक्षिण भारत में है और चेन्नई से केवल 150 किलोमीटर की दूरी पर है।इस जगह का नाम है ऑरोविले। इस शाहर की स्थापना साल 1968 में मिरा अलफासा ने की थी और इसे सिटी ऑफ डॉन यानी कि भोर का शहर भी कहा जाता है। इस शहर को बसाने का सिर्फ एक ही मकसद रहा कि यहां सभी इंसान जात-पात, ऊंच-नीच और भेद-भाव के बिना रहें। यहां पर कोई भी इंसान आकर रह सकता है, लेकिन सिर्फ एक शर्त है उसको यहां पर एक सेवक की तरह रहना होगा।
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इस शहर में 50 देशों के लोग रह रहे हैं। इस शहर की आबादी लगभग 24 हजार लोगों की है। यहां पर एक मंदिर भी है। हालांकि ये मंदिर किसी धर्म से जुड़ा हुआ नहीं है और यहां पर सिर्फ लोगा योग करते हैं। ऑरोविले को यूनेस्को ने एक अंतरराष्ट्रीय शहर के रूप में प्रशंसा की है और भारतीय सरकार की ओर से समर्थित भी है।
ओरोविल की स्थापना श्री ऑरोबिन्दो सोसाइटी की एक परियोजना के रूप में बुधवार 28 फ़रवरी 1968 को "मां" मीरा अल्फासा द्वारा की गयी। ओरोविल वेबपेज के अनुसार "एकीकृत विकास के साथ-साथ अनुसंधान और प्रयोगधर्मिता के उन्नयन के उद्देश्य से एक स्वच्छ स्लेट पर भविष्य के लिए एक अभिनव शहर बनाने का सपना 1968 में इसके स्थापना काल से ही दुनिया भर के वास्तुकारों तथा वास्तुकला के विद्यार्थियों का ध्यानाकर्षण करता रहा है।
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मानव समाज की परम्पराओं से मुक्त होने तथा किसी पूर्व-परिभाषित नियम-कानून में बंधे न होने के कारण ओरोविल के विकास के क्रम में कुछ अभिनव करने की तृष्णा के प्राकृतिक स्वभाव के रूप में बहुसंख्यक अभिव्यक्तियों के प्रदर्शन को मौका मिला है।