आज से लगभग 95 साल पहले एक पत्रकार ने पर्वतारोही जॉर्ज मैलोरी से एक प्रश्न पूछा कि आप माउंट एवरेस्ट पर क्यों चढ़ना चाहते है? जॉर्ज मैलोरी इस प्रश्न से भडक़ गए और बोले- ‘क्योंकि वह एवरेस्ट है’ लेकिन जॉर्ज मैलोरी का सपना पूरा नहीं हो सका था क्योंकि वे एवरेस्ट चढ़ाई के अपने तीसरे अभियान में लापता हो गए थे और शव भी 75 साल बाद में मिला था। मैलोरी की तरह बहुत सारे पर्वतरोही एवरेस्ट तक नहीं पहुंच सके क्योंकि एवरेस्ट का लक्ष्य कठिन परीक्षा की मांग करता है।
इस सफर में यह कहना मुश्किल है कि सबसे खतरनाक जगह कौनसी है? बर्फानी, तूफान, हाई एल्टीट्यूड सिमनेस, हिम दरोरां से यदि बच गए तो आइसकॉल से बचना मुश्किल हो जाता है। बहुत से लोग एवरेस्ट को कब्रगाह कहते हैं क्योंकि वहां पर मरने वालों की संख्या 260 से अधिक पहुंच चुकी है। लेकिन जिन लोगों के हौसले हिमालय से ऊंचे थे, उन्होंने हिमालय की चोटी को फतह किया। उनमें सबसे पहला नाम एडमंड हिलेरी और तेजजिंग नोरगे का आता है जिन्होंने अपने आसमान छूते हौसले की वजह से 1953 में एवरेस्ट पर विजय पाई थी।
इसके बाद तो एवरेस्ट पर फतह करने का सिलसिला शुरू हो गया। और हमारे लिए सबसे गौरव और प्रेरणा की बात है कि बर्फानी तूफान को झेलकर बच्छेन्द्री पाल ने माउंट एवरेस्ट को 1984 में फतह करके वे पहली भारतीय महिला बनी। एम.एस. कोहली, जापान की जुनको, डिकी डोलमा और 21 मई 2009 को अपा शेरपा ने 19वीं बार शिखर पर चढ़ाई की और सफलता प्राप्त की। ये सब सफल नेतृत्व के उदाहरण है। वैज्ञानिक फैडरिक कुले की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। जब वे अणुओं की संरचना को समझने के लिए संघर्ष कर रहे थे, तब एक रात आग के सामने उन्हें झपकी आ गई। फिर सपने में उन्होंने अणुओं को नाचते हुए देखा।
अणु सांप की आकृति में बदल गए और वे कुछ समझ पाते इससे पहले ही सांप ने अपनी पूंछ को मुंह में दबा लिया और अंगूठी की आकृति बनाई। तब सपने से प्रेरित होकर फेडरिक ने कहा कि बेन्जीन अणु एक मण्डल है और फिर यह खोज जैविक रसायन के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि के रूप में साबित हुई। अल्बर्ट आइंसटीन ने कहा है कि जब आप कुछ नया सीखते हैं तो आपके अनुभव इतिहास के पन्नों में सिमट जाते हैं। और यही बात है कि महान आविष्कारक, नेतृत्वकर्ता, सुपर स्टार या फिर अन्य क्षेत्र का कोई सफल जावांज के मन की गहराइयों में यह इच्छा दबी रहती है कि उन्हें अपनी जिंदगी में कुछ विशेष करना है, नया करना है, अमर करना है। तब वे उस बात पर विश्वास करते हैं जिसे वे सही मानते हैं और फिर अपनी समस्त ऊर्जा अपने सपनों को हकीकत में बदलने में लगा देते हैं।
प्रेरणा बिन्दु:-
जो मनुष्य अपनी सफलता का श्रेय दूसरों में बांट दे और सबको प्रोत्साहित करे, सच में वही लीडर होता है और सफलता को हर हाल में पाता है।