बचपन में सही-गलत चुनने का ज्ञान नहीं होता है, दिशा-दशा का ज्ञान नहीं होता है और जो कुछ उसके सामने परोस दिया जाता है, उसे वही ग्रहण करना होता है, जैसे विचार उसके सामने रख दिए जाते हैं, वह उनको सही मान बैठता है और फिर वह दूसरों के विचारों को आत्मसात कर लेता है, दूसरों के सुझावों पर अपनी जिंदगी की गाड़ी चलाने लगता है।
लेकिन यह भी सत्य है कि दूसरे के सुझावों में अपनी कोई शक्ति नहीं होती है, व्यक्ति अपने विचारों के द्वारा उसे शक्ति देता है। चलो, बचपन की बात नासमझ होने के कारण छोड़ दे, लेकिन जब बचपन वयस्क में बदल जाता है तो वह अपने सुझावों से, अपने विचारों से खुद को शक्ति हिम्मत और हौसला देकर अपनी जिंदगी को खुशहाल कर सकता है, प्रेम से भर सकता है और अपने स्वास्थ्य को बहुत आदर्श बना सकता है। हमेशा याद रखे, दूसरों के बुरे सुझाव आपकी जिंदगी को बदहाल बना देंगे, यदि उन्हें अपनाओगे तो और अच्छे सुझावों को अपने विचारों से शक्ति दोगे तो जिंदगी को बहुत सार्थक और खुशहाल बना सकते हो। देखिए दो घटनाएं:-
एक बार एक व्यक्ति बहुत परेशान था। स्वस्थ होकर भी अपने आपको दीन-हीन और विवश मान बैठा। वह अपनी हालत ठीक करने के लिए किसी जानकार के पास गया। उसने उससे कह दिया कि तू तो दो महीने के बाद मर जाएगा। उस व्यक्ति का यह सुझाव-विचार उसके लिए आग में घी की तरह काम किया। उसने अपने दिन गिनने शुरू कर दिए। कमजोर और कमजोर होता गया।
लोगों ने उसके परिजनों ने और उसके रिश्तेदारों ने उसको खूब समझाया कि इस प्रकार के सुझावों में कोई ताकत नहीं होती है, उनको शक्ति तो आप दे रहे हो, लेकिन वह उनके सुझावों को नहीं माना। परिणाम यह हुआ कि उसका भीतरी मन पूरी तरह से उसकी भावना को, उसके विचारों को सच करने में जुट गया और वह व्यक्ति ठीक दो माह के बाद मर गया।
अब दूसरी घटना देखिए, एक व्यक्ति अपनी जिंदगी से हार रहा था, बुरी परिस्थितियां उस पर इस कदर हावी हो रही थी कि वह खुद से कह रहा था कि मैं मरने ही वाला हूं। तभी अचानक उसके पास एक जीवन प्रबंधन गुरु आए और उससे बोले कि आप तो बस एक ही बात बोलते रहे कि मैं निरोग और खुशहाल हो रहा हूं, मेरी जिंदगी में सब आनंद लौट रहे हैं। उसके यह बात जच गई और वह इस वाक्य को मन ही मन गुनगुनाने लगा, बोलने लगा।
ताज्जुब कुछ ही दिनों में उसका स्वास्थ्य लौट आया और खुशहाली भी साथ में आने लगी। हमेशा याद रखे, विचारों में, सुझावों में शक्ति नहीं होती है, शक्ति तो खुद को भरनी पड़ती है। आइए, हमारे पास चुनने की अपार क्षमता है-अच्छी जिंदगी चुनें।
प्रेरणा बिन्दु:-
जब हमें चुनने का अवसर मिला है तो खुशहाल और सार्थक जिंदगी ही चुनें और जब आप ऐसा कर लेंगे, तो यह भी निश्चित है कि आपकी जिंदगी खुशहाल हो भी जाएगी।