भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा के राजा कंस को मारकर अग्रसेन को पुनः मथुरा का राजा बनाया। जरासंध कंस का ससुर था और उसने भगवान कृष्ण से कंस की मृत्यु का बदला लेने के लिए 18 बार मथुरा पर आक्रमण किया। जब भगवान कृष्ण ने ये महसूस किया कि बार-बार युद्ध होने से मथुरावासियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो उन्होंने मथुरा को त्यागने का निर्णय किया।
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वे सभी के साथ मथुरा छोड़कर रैवत पर्वत के समीप कुशस्थली पुरी (द्वारका) में जाकर बस गए। श्री कृष्ण जगत भलाई के लिए रण छोड़कर भागे थे इसलिए उन्हें यहां ’रणछोड़ जी’ भी कहा जाता है। उन्होंने मथुरा छोड़ने के बाद द्वारका को अपनी राजधानी बनाया। श्री कृष्ण के अन्तर्धान होने के पश्चात प्राचीन द्वारकापुरी समुद्र में डूब गई।
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केवल द्वारकाधीश मंदिर ही समुद्र ने नहीं डुबा और आज भी गुजरात में द्वारकाधीश मंदिर स्थित है। तीर्थ और पर्यटन स्थल द्वारका समुद्रतट के किनारे बसा हुआ है। यहां से समुद्र का नजारा खूबसूरत है। यहां आप कई तरह के पक्षियों के अलावा समुद्री कछुवे, ऑक्टोपस व स्टारफिश देख सकते हैं। द्वारका को चार धामों में एक तथा सात पुरियों में से एक पुरी के रूप में जाना जाता है। सुंदर और मंत्रमुग्ध कर देने वाले यहां के मंदिर इस जगह की खास पहचान हैं।
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