योगेश्वर पहले दौर में हारे, दो पदकों के साथ भारतीय अभियान समाप्त

Samachar Jagat | Monday, 22 Aug 2016 12:48:02 PM
Yogeshwar Dutt out of Rio Olympics with first round loss, Indian campaign ends with two medal

रियो डि जिनेरियो। अनुभवी पहलवान और पदक की आखिरी उम्मीद योगेश्वर दत्त के पहले दौर में हारने के साथ ही भारत रियो ओलंपिक में अभियान भी आज समाप्त हो गया जिसमें उसका अब तक का सबसे बड़ा दल केवल दो पदक जीत पाया।

लंदन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता योगेश्वर से काफी उम्मीदें थी और उन्हें पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन मंगोलिया के गैंजोरिगिना मंदाखरान के खिलाफ क्वालिफिकेशन दौर के मुकाबले में उन्होंने बेहद लचर खेल दिखाया और 0-3 से हार गए। मंदाखरान केक्वार्टर फाइनल में हारने से योगेश्वर की लगातार दूसरी बार रेपेचेज के जरिए पदक जीतने की उम्मीदें भी समाप्त हो गई।

खेलों के 15वें दिन अन्य दावेदार तीन मैराथन धावक थे। उनमें से दो ने अपना सर्वश्रेष्ठ समय निकाला लेकिन वे पदक की दौड़ से काफी पीछे रहे।

मैराथन दौड़ खत्म होने के साथ ही भारत का ब्राजीली शहर में अभियान भी समाप्त हो गई जहां उसे शुरू से ही निराशा का सामना करना पड़ा। भारत केवल एक रजत पीवी सिंधू, बैडमिंटन महिला एकल और एक कांस्य पहलवान साक्षी मलिक महिला 58 किग्रा ही जीत पाया।

भारत ने लंदन ओलंपिक 2012 ने सर्वाधिक छह पदक जीते थे लेकिन उनमें स्वर्ण पदक शामिल नहीं था। खेलों से पहले भारतीय खेल प्राधिकरण ने पदकों की संख्या दोहरे अंक में पहुंचने की उम्मीद जताई थी लेकिन वे सब धराशाई हो गई और दो महिला खिलाडिय़ों ने देश की लाज बचाई।

योगेश्वर से काफी उम्मीद की जा रही थी लेकिन क्वालीफिकेशन में उन्होंने खराब प्रदर्शन किया। इसके बाद यह उम्मीद थी कि मंगोलियाई पहलवान फाइनल में पहुंचे जिससे योगेश्वर को रेपेचेज का मौका मिले लेकिन उन्हें ताशकंद विश्व चैंपियनशिप 2014 के स्वर्ण पदक विजेता रूसी पहलवान सोसलान लुडविकोविच रामोनोव से 0-6 से हार झेलनी पड़ी। इससे भारतीय पहलवान की उम्मीदें भी समाप्त हो गई।

इस तरह से सात सदस्यीय भारतीय कुश्ती टीम ने केवल एक पदक के साथ अपने अभियान का अंत किया। महिलाओं के 58 किग्रा भार में साक्षी मलिक ने कांस्य पदक जीता। टीम में पहले आठ पहलवान शामिल थे लेकिन नरसिंह पंचम यादव पर खेल पंचाट ने प्रतिबंध लगा दिया था जिससे उन्हें बाहर होना पड़ा।

योगेश्वर अपने चौथे और आखिरी ओलंपिक में भाग ले रहे थे लेकिन वह मंगोलियाई पहलवान के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाने में नाकाम रहे। मंदाखरान 2010 के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता और विश्व चैंपियनशिप में दो बार के कांस्य पदक विजेता हैं।

हरियाणा के 33 वर्षीय पहलवान योगेश्वर ने लंदन ओलंपिक में 60 किग्रा में कांस्य पदक जीता था और उनसे 65 किग्रा में इस बार इससे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी।

पुरुष मैराथन में भारत के टी गोपी और खेताराम ने अपना सर्वश्रेष्ठ समय निकाला लेकिन वे दोनों क्रमश: 25वें और 26वें स्थान पर रहे। गोपी ने दो घंटे 25 मिनट 25 सेकेंड में दौड़ पूरी की जो उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। खेताराम उनसे केवल एक सेकेंड पीछे रहे। उन्होंने दो घंटे 15 मिनट 26 सेकेंड का समय लिया। इसके साथ ही भारत का रियो ओलंपिक में अभियान भी समाप्त हो गया।

मैराथन में भारत के तीसरे धावक नीतेंद्र सिंह राव थे लेकिन वह दो घंटे 22 मिनट 52 सेकेंड के समय के साथ 84वें स्थान पर रहे। नीतेंद्र दौड़ के विजेता से 14 मिनट 08 सेकेंड पीछे रहे।



 

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