भारतीय समाज में बेटियों के प्रति एक मिसाल पैदा की है अहमदाबाद के इस अस्पताल नें। एक ओर जहां बेटियों को बोझ समझा जाता है, कन्या के भ्रूण को कोख में ही मार दिया जाता है, जैसी घटनाओं को रोकनें के लिए समाज में वैसे को कई तरह के कार्यक्रम चलाए जाते है, लेकिन सामाजिक स्तर पर बेटियों के प्रति सोच बदलनें के लिए इस अस्पताल नें एक विशेष ऑफर की पेशकश की है। जी हां इस अस्पताल नें अभिभावको के लिए एक ऐसा ऑफर निकाला है जहां बेटी के जन्म लेने पर अस्पताल में खुशियां मनाई जाती है, साथ ही अस्पताल का बिल भी नहीं देना होता।
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सिंधु सेवा समाज द्रारा पिछले 30 सालों से संचालित इस अस्पताल में एक नई पहले की शुरुआत की गई है। इस अस्पताल में अब तक 150 अभिभावकों नें पंजीकरण करवाया है। प्रसव के दौरान इस अस्पताल में सामान्य प्रसव की स्थिति में 7000 रुपए और सीजेरियन स्थिति में 20,000 रुपए तक का शुल्क वसूला जाता है।
अस्पताल के निदेशक महादेव लोहना का कहना है कि उनके अस्पताल में अधिकत्तर महिलाओं द्वारा लड़का होने की प्रार्थना की जाती है, लड़का होने पर मिठाईयां बांटी जाती है लेकिन वहीं खुशियां बेटी के पैदा होने पर मायूसी में बदल जाती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए और बेटियों को बढ़ावा देने के लिए ट्रस्ट नें यह निर्णय लिया कि लड़की होने पर इसका जश्न अस्पताल में मनाया जाएगा। साथ ही साथ इसका अस्पताल का बिल भी नहीं चुकाना पड़ेगा।
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अस्पताल का यह भी नियम है कि पंजीकरण के समय जो 1100 रुपए का पंजीकरण शुल्क लिया जाता है, वह बेटी होने पर वापस कर दिया जाएगा। अस्पताल में जब भी किसी बेटी का जन्म होता है तो अस्पताल का समूह उसके परिवार के लिए छोटा सा जश्न करता है। अस्पताल की यह पहल समाज में एक सकारात्मक संदेश देने के लिए अनूठी है।