मुंबई। आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद से अब तक लोगों ने 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों के करीब 12 लाख करोड़ रुपये जमा कराए हैं। वहीं, नोटबंदी के बाद नकदी की कमी से जूझ रहे लोगों की मुश्किलों के बीच आरबीआई ने विभिन्न मूल्यों के नए 19.1 अरब नोट जारी किए गए हैं। आरबीआई आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आर. गांधी ने मीडिया कॉंफ्रेंस के दौरान यह जानकारी दी।
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आरबीआई के डिप्टी गवर्नर आर. गांधी ने बुधवार को कहा कि अब तक पुराने नोटों के 11.85 लाख रुपये जमा कराए गए हैं। आर. गांधी ने रिजर्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद एक संवाददात सम्मेलन में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विभिन्न मूल्यों के 19.1 अरब नोटों को पहले ही जारी किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि बीते आठ नवंबर को सरकार ने देश में 500 रुपये तथा 1,000 रुपये के पुराने नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था।
काला धन के सवाल को टाल गए आरबीआई गर्वनर
इधर, भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर उर्जित पटेल ने उन सवालों को टाल दिया, जिनमें उनसे पूछा गया था कि बंद किए गए सारे नोट लगभग बैंकों में वापस आ चुके हैं, तो क्या इसका मतलब यह है कि अर्थव्यवस्था में काला धन नहीं है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से मध्यम से दीर्घकालिक नतीजे अच्छे आएंगे, जबकि अल्पकालिक परेशानी (जिसके बारे में हम सब को पता है) हो रही है। पटेल ने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था में काफी पारदर्शिता आएगी, कर संग्रह बढ़ेगा, नकली नोट बनाना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि नए फीचर्स जोड़े गए हैं और अर्थव्यवस्था का डिजिटीकरण होगा।
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उन्होंने कहा कि इससे नोट छापने की लागत भी घटेगी, क्योंकि अर्थव्यवस्था डिजिटल होने से कम नोट छापने पड़ेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या नोटबंदी से पहले इसके फायदे और इस पर आनेवाले खर्च का विश्लेषण किया गया था और अगर बंद किए गए सारे पुराने नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस जमा हो गए हैं, तो क्या इसका मतलब यह है कि देश में काले धन की समस्या नहीं है। आरबीआई के गर्वनर ने प्रश्न के दूसरे हिस्से का जबाव देना पसंद नहीं किया।
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