सिर्फ रजिस्ट्री से नहीं मिलेगा प्रॉपर्टी का मालिकाना हक, सुप्रीम कोर्ट का सख्त फैसला—विक्रेता का वैध होना अनिवार्य

epaper | Tuesday, 24 Jun 2025 05:11:42 PM
Ownership of property will not be given by just registering the property, strict decision of Supreme Court- It is mandatory for the seller to be legal


सुप्रीम कोर्ट ने प्रॉपर्टी से जुड़े एक बेहद अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि सिर्फ प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन करवा लेने से किसी व्यक्ति को कानूनी रूप से उसका मालिक नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि अगर विक्रेता के पास वैध दस्तावेज नहीं हैं और वह खुद संपत्ति का अधिकृत मालिक नहीं है, तो उस संपत्ति की रजिस्टर्ड बिक्री भी अमान्य मानी जाएगी। इस फैसले से प्रॉपर्टी लेनदेन में पारदर्शिता बढ़ेगी और धोखाधड़ी की घटनाओं पर लगाम लगेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

तेलंगाना से जुड़े एक केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रॉपर्टी का मालिकाना हक केवल रजिस्ट्री के आधार पर नहीं मिल सकता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बाद में रजिस्ट्री करवाने या कब्जा लेने से भी व्यक्ति को वैध मालिक नहीं माना जाएगा, यदि विक्रेता के पास स्वयं वैध टाइटल नहीं था। कोर्ट ने दो टूक कहा कि “रजिस्ट्री एक प्रक्रिया मात्र है, न कि मालिकाना हक का प्रमाण।”

क्यों जरूरी है विक्रेता का वैध टाइटल?

अगर कोई व्यक्ति ऐसी प्रॉपर्टी बेच रहा है जिसका वैध मालिक वह खुद नहीं है, तो खरीदार को भविष्य में बड़ी कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। कोर्ट ने कहा कि जब तक विक्रेता के पास संपत्ति का टाइटल डीड और अन्य कानूनी कागजात नहीं हैं, तब तक रजिस्ट्री करवा लेने का कोई मतलब नहीं है। इस फैसले ने यह साफ कर दिया कि संपत्ति का ट्रांसफर तभी वैध माना जाएगा जब ट्रांजेक्शन की पूरी चेन वैध दस्तावेजों से सिद्ध हो।

मालिकाना हक साबित करने वाले जरूरी दस्तावेज

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, प्रॉपर्टी का मालिकाना हक सिद्ध करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज जरूरी हैं:

  • टाइटल डीड (Title Deed)

  • सेल डीड (Sale Deed)

  • म्यूटेशन सर्टिफिकेट (Mutation Certificate)

  • एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate)

  • पजेशन लेटर (Possession Letter)

  • प्रॉपर्टी टैक्स रसीदें

  • अलॉटमेंट लेटर

  • वसीयत या सक्सेशन सर्टिफिकेट (यदि संपत्ति विरासत में मिली हो)

इन दस्तावेजों के बिना रजिस्ट्री वैध नहीं मानी जाएगी, और खरीदार को मालिकाना हक सिद्ध करने में कठिनाई होगी।

फैसले का व्यापक असर

इस फैसले के बाद अब प्रॉपर्टी खरीदने से पहले दस्तावेजों की जांच अनिवार्य हो जाएगी। खरीदारों को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी और कानूनी सलाह लेकर ही सौदे करना बेहतर होगा। रियल एस्टेट एजेंट्स और बिल्डर्स के लिए भी यह चेतावनी है कि वे दस्तावेजों में पारदर्शिता बनाए रखें, वरना कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला प्रॉपर्टी बाजार में एक सकारात्मक बदलाव लाने वाला है। इससे जहां खरीदारों को कानूनी सुरक्षा मिलेगी, वहीं रियल एस्टेट सेक्टर में धोखाधड़ी की घटनाएं भी कम होंगी।
अब सिर्फ रजिस्ट्री नहीं, बल्कि विक्रेता की वैधता और दस्तावेजों की पूरी श्रृंखला ही बनाएगी आपको कानूनी मालिक।



 


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