मध्य प्रदेश में 15 लाख बच्चों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। यहा के 25 हजार हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों को मान्यता देने में चार माह शेष हैं, लेकिन सरकार अब तक ये तय ही नहीं कर सकी है कि मान्यता कौन देगा
ऐसे में तय माना जा रहा है कि 31 जुलाई तक मान्यता देने की जल्दबाजी में सिर्फ खानापूर्ति होगी और मान्यता के प्रकरण जल्द निपटाने पड़ेंगे।
न तो स्कूलों को आवेदन के लिए पर्याप्त समय मिलेगा और न ही निरीक्षण सही से हो पाएगा। ऐसे में गड़बड़ी की आशंका ज्यादा रहेगी।
नई दुनिया के मुताबिक मान्यता की प्रक्रिया अक्टूबर-नवंबर में शुरू हो जानी चाहिए, जो अब तक शुरू नहीं हो सकी है। दरअसल शैक्षणिक सत्र 2014-15 की मान्यता के अधिकार तत्कालीन आयुक्त लोक शिक्षण डीडी अग्रवाल ने कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी को दे दिए थे।
अग्रवाल के हटते ही ये अधिकार फिर से जेडी को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके नियम बने और जारी भी हुए, लेकिन शिकायतों के चलते गजट नोटिफिकेशन नहीं हुआ।
इसलिए अभी तक तय नहीं है कि मान्यता कौन देगा? जिस कारण मान्यता की प्रक्रिया अटकी है। ज्ञात हो कि 2012 में माध्यमिक शिक्षा मंडल से मान्यता के अधिकार छिनने के बाद से ही ये लड़ाई चल रही है।