Tantric - टोटके नहीं किडनी डोनर चाहिए, मुसीबत में फंसा है सात वर्ष का बालक

Samachar Jagat | Friday, 24 Jun 2022 09:53:09 AM
Tantric - Need kidney donor not tricks, seven year old boy is in trouble

जयपुर। जयपुर में किडनी डेमेज के केसेज काफी बढ गए हैं, चिंता की बात यह है कि कभी इस तरह के संकट के शिकार लोगों में किशोर अवस्था और प्रौढ हुआ करते थ्ो, मगर अब जे.के.लॉन अस्पताल में मासूम बच्चे भी इस बीमार ी के शिकार हो रहे है। आखिर क्यों। इन हालतों के लिए कौन जिम्मेदार है, इस पर कोई ठोस शोध नहींे हो सके हैं। मगर अब तक की पड़ताल के बाद पता चला है कि मासूम बच्चों में यह बीमारी जन्म जात भी हो सकती है। आरंभ में इसकी जानकारी नहीं मिलती पाती है।

अनजाने पन में किडनी खराब होने का सिलसिला शुरू हो जाता हैऔर फिर जब इसका पता चलता है तब तक बीमार बच्चे की दोनों किडनियां कबाड़ा हो जाती है। रोगी की जान बचाने के तौर पर केवल किडनी ट्रांसप्लांट ही एक मात्र समाधान बच जाता है। मगर इसमें भी कई समस्याएं हैं। पहली यह कि कई बार, बीमार बच्च्ो को किडनी का प्रोपर डोनर नहीं मिल पाता है। यहां तक कि माता- पिता की किडनियां भी इनफेक्टेड होने पर उन्हें उनके बच्चे को नहीं लगाई जा सकती है। किडनी की खराबी को लेकर लोगों के बीच इस बात की भी गलत धारणा रहती है कि किसी की सख्स की किडनी खरीद कर उनके पेसेेंट को लगाई जा सकती है। इसके लिए वे पैसोंे की गडढी लेकर डोनर को खोजते फिरते है। इस मामले में जब उन्हें कोई सफलता नहीं मिलने पर वह हार कर चुप बैठ जाता है।

किडनी फैल होने के कई सारे केसेज जयपुर में देख्ो जा सकते जा सकते हैं। ऐसा ही एक पेसेंट जयपुर के जे.के.लॉन अस्पताल में उपचारित है। सात वर्ष के इस बच्चे का नाम साकिर है। उम्र सातसाल की है, सांगानेर मेंं अपने परिवार के संग रह रहा है। साकिर को लेकर तरह- तरह की बातें चर्चित है। उसकी वालदा कहती है कि पिछले एक साल से इसे भूख बंद होने की शिकायत हो गई थी। परिजन केस समझ नहीं सके और बच्चे क ा देशी उपचार करवाते रहे। इस ट्रीटमेंट से जब कोई लाभ नहीं मिला तो उसे ना जाने कितने ही तांत्रिकोंे के पास ले जाया गया । किसी ने कहा कि बच्च्ो को किसी की नजर लग गई है। या फिर कई डॉक्टरों के द्बारा भी लापरवाही बरती जाती है। बेमलब ही हाई डोज के इंजेक्शन ठोक दिए जाते हैं। जिनका गलत परिणाम पेसेंट को भोगना पड़ जाता है।

साकि र की अम्मा बताती है कि एक साल पहले तक उसका यह पुत्र काफी हुष्ट-पुष्ट था। नियमित रूप से वर्जिस करने पर उसका शरीर गठिला हो कर आकर्षक बन गया था। बदन मजबूत होने पर उसे कभी जुकाम -खांसी तक नहीं हुई। फिर भी कैसे खराब हो गई उसकी किडनियां। इस मामले में नीम हकीमों पर कार्रवाही की जानी आवश्यक है। एक के बाद एक केसेज आते रहे हैं। मगर सही उपचार ना मिलने पर इनके जनाजे कब्रिस्तान मेे समाए जाते रहे हैं। साकिर से जब संपर्क हुआ तब वह जे.केे.लॉन अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग में भर्ती था। चिकित्सकों की सलाह पर उसे नियमित रूप से आवश्यकता के मुताबिक डायलेसिस दिया जाने लगा था। धीरे-धीरे इसका ड्यूरेशन कम होता गया। हाल ही मेंं सप्ताह में तीन बार डायलेसिस दिया जा रहा है। चिकित्सकोे ं को भी उम्मीदें कम होने लगी है।

बीमार बच्चे की मां कहती है कि वे प्रयास कर रहे हैं कि कोई किडनी डोनर मिल जाए। इसके लिए पैसा भी खर्च करने को तैयार है। मगर इसमंे फिलहाल उन्हें कोई सफलता नहीं मिली है। साकिर के पिता की ओर से कोई उम्मीद नहीं है। वे दमा के पुराने मरीज है। चलने- फिरने मेंं भी उन्हें परेशानी होती है। मां का जहां तक सवाल है, वह भी अपने आप को बेबस बताती है। उसका कहना है कि परिवार में और भी बच्चे हैं। सभी की उम्र कम है। इन्हें भी पालना होता है। यदि, बच्चों क े पोषण का बोझ उस पर ना होने पर वह हर तरह की कुरबानी देने को तैयार है। साकिर की मनोस्थिति पर गौर किया जाए तो किडनियों को लेकर उसे ज्यादा कुछ जानकारी नहीं है। पर परिजन आपस में जब बातें करते हैं, तो उसका चेहरा लटक जाता है। या अल्ला, या अल्ला, मन ही मन गुनगुनाने लगता है।

टाइम पास करने के लिए वह खिलौनोें से अकेला ही कोई गेम ख्ोलता रहता है। पड़ौस के बैड वाले एक दूसरे रोगी के परिजन कहते थ्ो कि यह बच्चा बहुत समझदार है। इतनी बड़ी बीमारी का शिकार होने के बाद भी उसके चेहरे पर भय के लक्षण दिखाई नहीं देते है। पेसेंट बताता है कि वह ठीक होकर रहेगा। उसे फुटबाल ख्ोलने का शौक है। सांगानेर में स्टेडियम में अपने दोस्तों के संग खेला करता था। आज भी उसकी इच्छा है कि फुटबाल में वह राजस्थान की टीम का प्रतिनिधित्व करे। मगर यह रोग...। मुंह बिगाड़ कर अपने क मजोर पांवों को घूरने लगता है । चिंता के मारे जब उसका सिर भारी हो जाता है तो पास मेंरख्ो अपने पापा के मोबाइल पर ख्ोलने लगता है। बच्च्ो की मां उसे उत्साहित करती है। कहती है कि जब भी कोई भी परेशानी हो तो कुरान शरीफ की आयत ें ही मन की मन गुनगुनाया कर अल्ला मियां ही तो तेरी इस समस्या दूर कर सकता है। वह दयालु है। अमीर हो या फिॅ र गरीब। छोटा हो या बड़ा । सभी का दुख सुनता है। उसे दूर करता है।
 



 

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