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राजस्थान के उदयपुर में कुख्यात हिस्ट्रीशीटर नारायण सिंह पर अब कानून का शिकंजा कसता नजर आ रहा है। कोर्ट ने पुलिस की अपील पर नारायण सिंह की ‘302’ नंबर वाली काली स्कॉर्पियो गाड़ी को जब्त करने का आदेश जारी कर दिया है। यह वही गाड़ी है जिसे नारायण सिंह ने अपनी काली कमाई से खरीदा था और जिसका इस्तेमाल वह अपराधों को अंजाम देने में करता था।
कोर्ट और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई
उदयपुर कोर्ट ने 26 जून को उदयपुर पुलिस द्वारा पेश की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए नारायण सिंह की स्कॉर्पियो गाड़ी की कुर्की (seizure) के आदेश दिए। यह गाड़ी उसने अपराध से कमाए पैसों से खरीदी थी और इसका नंबर 302 था — जो IPC की हत्या से जुड़ी धारा है।
उदयपुर एएसपी मनीष कुमार ने बताया कि पुलिस को इनपुट मिला था कि नारायण सिंह अपनी गाड़ी और सोशल मीडिया पर “302” नंबर का इस्तेमाल कर लोगों में दहशत फैलाता है। वह अपने प्रभाव और आतंक को इस प्रतीक के ज़रिए दर्शाना चाहता था।
अपराधों की लंबी लिस्ट और सोशल मीडिया पर खौफ का प्रचार
नारायण सिंह पर दर्ज प्रमुख आरोपों में शामिल हैं:
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हत्या और हत्या का प्रयास
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फिरौती के लिए अपहरण
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अवैध फायरिंग
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शराब की तस्करी
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धमकी और रंगदारी
अब तक 15 आपराधिक मुकदमे नारायण सिंह के खिलाफ दर्ज हो चुके हैं।
सिर्फ गाड़ी ही नहीं, वह अपने मोबाइल नंबर और सोशल मीडिया प्रोफाइल में भी ‘302’ लिखवाता था, ताकि लोगों में उसका नाम भर से खौफ पैदा हो।
हाल ही में हुई गिरफ्तारी और शराब तस्करी कनेक्शन
पुलिस सूत्रों के अनुसार, नारायण सिंह को हाल ही में एक शराब तस्करी के केस में गिरफ्तार किया गया था। इस केस के बाद जब उसकी संपत्तियों की जांच की गई, तब यह सामने आया कि स्कॉर्पियो गाड़ी को अपराध की आय से खरीदा गया था।
इसी आधार पर उदयपुर पुलिस ने कोर्ट में पेश होकर उसकी गाड़ी की जब्ती की मांग की, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
पुलिस का बड़ा संदेश: “अपराध की कमाई से ऐश नहीं कर सकते”
इस कार्रवाई को उदयपुर पुलिस ने अपराधियों के लिए कड़ा संदेश बताया है। एएसपी मनीष कुमार ने कहा, “हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई भी अपराधी अपनी गुनाह की कमाई से रौब न झाड़ सके। अब ऐसे तत्वों की संपत्तियों को कानूनी तौर पर जब्त किया जाएगा।”
‘302’ बना खौफ की ब्रांडिंग!
नारायण सिंह के बारे में यह भी सामने आया कि उसने “302” को अपने नाम का पर्याय बना लिया था। चाहे वाहन का नंबर हो, सोशल मीडिया बायो हो या मोबाइल नंबर — हर जगह वह हत्या की धारा को दर्शाने वाला यह अंक इस्तेमाल करता था। इसे वह अपने आतंक की पहचान के रूप में पेश करता था।
संक्षेप में – क्यों है यह मामला महत्वपूर्ण?
बिंदु |
विवरण |
आरोपी |
नारायण सिंह, हिस्ट्रीशीटर |
आपराधिक रिकॉर्ड |
हत्या, फिरौती, अपहरण, तस्करी समेत 15 केस |
गाड़ी |
काली स्कॉर्पियो (नंबर – 302) |
अपराध की आय से खरीदी गई |
हां |
कोर्ट आदेश |
कुर्की (जब्ती) की स्वीकृति |
पुलिस संदेश |
“अपराध की कमाई से ऐश नहीं करने देंगे” |
हिस्ट्रीशीटर नारायण सिंह के खिलाफ हुई यह कार्रवाई सिर्फ एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे आपराधिक नेटवर्क को कानून का सीधा जवाब है। अब राजस्थान पुलिस यह संदेश देने में सफल हो रही है कि कानून से बड़ा कोई नहीं और अपराध से पाई गई संपत्तियां भी छीन ली जाएंगी।