वृंदा सोनकिया, आर्यमन सोनकिया और प्रांजल खंडेलवाल ने एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए मिशन के साथ WODE फाउंडेशन की शुरुआत की, जहाँ विभिन्न शारीरिक, सामाजिक और आर्थिक परिस्थिति में जन्मे लोगों के बीच भेदभाव को मिटा कर समानता का भाव लाना है COVID-19 में भेदभाव नहीं है, चाहे वह अमीर हो या गरीब, सेलिब्रिटी हो या आम आदमी। फिर भी, इस अनिश्चित समय में, श्रमिकों व गरीब परिवार मूलभूत सुविधाएं जुटाने में असमर्थ है

WODE के मिशन को ध्यान में रखते हुए, COVID-19 के खिलाफ लड़ाई मे अपने योगदान हेतु
अपने पहले कदम में, उन्होंने पूरे पिंक सिटी में 3,320 लोगों के लिए भोजन वितरित करके समाज में योगदान दिया, ताकि इस कठिन समय में इनके जीवन को आसान किया जा सके इसके अतिरिक्त, कर्फ्यू वाले शहर में रहने वाले, WODE के युवा संस्थापकों, सड़क पर पुलिसकर्मियों और स्वच्छता कार्यकर्ताओं ,स्वास्थ कमचारी जैसे फ्रंटलाइन वर्कर्स, बिना मास्क के उच्च जोखिम वाले वातावरण में अपना काम करते हुए देखे गए। समाचार में, उन्होंने देश के हजारों संक्रमित स्वास्थ्य कर्मचारियों के बारे में सुना। जरूरतमंदों को खिलाने के साथ, , इस समय सभी महत्वपूर्ण लोगों के समूहों के लिए उचित सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहते थे। इस काम करने के लिए, आर्यमान ने सुझाव दिया कि हम उन्हें अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षात्मक गियर प्रदान करें। इस प्रकार, उन्होंने घर पर अपने स्वयं के 3 डी प्रिंटर के माध्यम से एक प्रोटोटाइप बनाकर मुखौटे और चेहरे की ढाल तैयार करना शुरू कर दिया; हालाँकि, यह विधि वांछनीय पैमाने पर उत्पादन करने के लिए पर्याप्त नहीं थी । इसलिए, WODE फाउंडेशन ने एफआरएक्सस सॉल्यूशंस के साथ सहयोग किया, जो एमएनआईटी छात्रों की अगुवाई में एक स्टार्टअप है, जो उपर्युक्त मास्क और फेस शील्ड का उत्पादन करता है। अब तक, इन्हें कोतवाली थाने के पुलिसकर्मियों और कई सफाई कर्मचारियों को वितरित किया गया है और एनजीओ का लक्ष्य कम से कम 4000 से अधिक सेट वितरित करना है।

इस संस्था का शिक्षा के क्षेत्र में भी कार्य सराहनीय है सभी को शिक्षा का सामन अधिकार के उद्देश्य से अब तक जयपुर के 4 राजकीय व सामाजिक विधालयो में ई-पुस्तकालय खोल चुके है इन पुस्तकालयों मे मे पुस्तकों के साथ-साथ छात्रो डिजिटल दुनिया से जोड़ने के लिए smart tv लगाए है साथ ही प्रज्ञान एप के जरिए ncrt की अध्ययन सामग्री के विडीओ, worksheets प्रदान की गई है जिसके ज़रिए छात्रों के शिक्षा स्तर को निजी विद्यालयों के स्तर तक लाया जा सके
इन युवाओं का मात्र 15-17 उम्र मे सामाजिक कार्यो मे योगदान सराहनीय है