एंटरटेनमेंट डेस्क। अभिनेत्री स्वरा भास्कर की फिल्म 'अनारकली ऑफ आरा' आज रिलीज़ हो गई है। डायरेक्टर अविनाश दास फिल्म 'अनारकली ऑफ आरा' से डायरेक्शन में डेब्यू कर रहे हैं। यह फिल्म कई सारे गंभीर मुद्दों की ध्यान खींचती है। जानिए फिल्म की समीक्षा-
कलाकार: स्वरा भास्कर,पंकज त्रिपाठी, संजय मिश्रा, इश्तियाक़ खान आदि।
निर्देशक: अविनाश दास
निर्माता: संदीप कपूर
स्टार: (चार स्टार)
समय: 1:53 मिनट
कहानी -
यह कहानी बिहार के आरा जिले की है जहां की सिंगर अनारकली (स्वरा भास्कर) है और उनकी मां भी गाया करती थी। बचपन में एक समारोह में दुर्घटना के दौरान अनारकली की मां की डेथ हो जाती है और अनारकली स्टेज पर परफॉर्म करना शुरू कर देती है। रंगीला (पंकज त्रिपाठी) इस बैंड का हिसाब किताब संभालता है और शहर के दबंग ट्रस्टी धर्मेंद्र चौहान (संजय मिश्रा) का दिल जब अनारकली पर आ जाता है तो एक बार स्टेज परफॉर्मेन्स के दौरान ही कुछ ऐसी घटना घट जाती है जिसकी वजह से अनारकली को धर्मेंद्र चौहान से बचकर के दिल्ली जाना पड़ता है।
फिल्म में ना ही कोई हीरो हीरोइन की लव स्टोरी है ना ही कोई रोमांटिक गाना है। कुल मिलाकर फिल्म डांसिग अरांउड द ट्री टाइप की फिल्म नहीं है। यह एक औरत के जीवन के सच और संघर्ष की कहानी है।
फिल्म में दिखाया गया है कि अनारकली में नॉटीनेस है, वो स्टेज पर डांस करते वक्त लोगों को अपनी अदाओं से खूब बहलाती भी है। सड़क पर चलते समय उसमें एक अलग ही तेवर है। लेकिन जब कोई उसे जबरन अपनी संपत्ति समझता है तो उसके लिए वो अंगारा भी बन जाती है। जी हां, देसी तंदूर, अंग्रेजी में ओवन।
क्यों देखें फिल्म
फिल्म का सब्जेक्ट काफी सरल है और ग्राउंड लेवल की सच्चाई की तरफ इशारा करता है। किसी सच्चाई को दिखाने के लिए बिना कोई पर्दा डाले चीजें दिखानी पड़ती है, फिल्म के निर्देशक ने ठीक वही काम किया है।
कमजोर कड़ियां
फिल्म की कमजोर कड़ी शायद इसकी टिपिकल कहानी है जो शायद एक तबके की ऑडिएंस को नापसंद हो। साथ ही इसमें बोली गई भाषा पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार, झारखण्ड के लोगों को पूरी तरह समझ आएगी परंतु बाकी प्रदेश के लोगों को एक फ्लो में बोले गए वाक्य शायद पूरी तरह ना समझ आएं। फिल्म के गाने भी टिपिकल हिंदी फिल्मों के गीतों के जैसे नहीं हैं इसलिए शायद सबको अच्छे ना लगे।