RBI ने शुरू किया '100 दिन 100 भुगतान' अभियान, ऐसे जान सकते हैं अपने अनक्लेम्ड डिपॉजिट के बारे में

Samachar Jagat | Friday, 02 Jun 2023 02:12:06 PM
RBI launches ‘100 Days 100 Pays’ campaign, this is how you can know about your unclaimed deposits

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 1 जून को '100 दिन 100 भुगतान' अभियान शुरू किया है। इसका मकसद बैंकों में पड़ी शीर्ष 100 लावारिस जमाओं का पता लगाना और उनका निपटान करना है। 100 जिलों का हर बैंक इसके दायरे में आएगा।

यह अभियान लावारिस जमा को कम करने के केंद्रीय बैंक के प्रयासों में मदद करेगा। आरबीआई चाहता है कि बैंकों में पड़ी लावारिस जमा राशि का पता लगाया जाए और उसके सही दावेदारों को सौंप दिया जाए। अगर किसी बैंक खाते में 10 साल या उससे ज्यादा समय तक कोई गतिविधि नहीं होती है तो उसमें जमा पैसे को अनक्लेम्ड डिपॉजिट माना जाता है।

लावारिस जमा का कारण

बैंक लावारिस जमा को जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता (डीईए) फंड में स्थानांतरित करते हैं, जिसे आरबीआई द्वारा बनाए रखा जाता है। जमाकर्ताओं को अपने खाते में जमा धन को बाद में भी दावा करने का अधिकार है। आरबीआई का मानना है कि अनक्लेम्ड डिपॉजिट की मात्रा में बढ़ोतरी की वजह यह है कि लोग अपने बचत/चालू खाते बंद नहीं करते हैं। कई मामलों में यह पैसा उन जमाकर्ताओं का होता है जिनकी मृत्यु हो चुकी होती है। ऐसे मामलों में नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी धन का दावा करने के लिए आगे नहीं आता है।

लावारिस जमा में कितना पैसा

लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने बैंकों के लावारिस जमा के बारे में बताया। उन्होंने कहा था कि फरवरी 2023 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसयू बैंकों) में 35,012 करोड़ रुपये की लावारिस जमा राशि थी। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में अनक्लेम्ड डिपॉजिट की संख्या सबसे ज्यादा है। यह करीब 8,086 करोड़ रुपये है। दूसरे स्थान पर पंजाब नेशनल बैंक है। पीएनबी के पास 5,340 करोड़ रुपये की लावारिस जमा राशि है। केनरा बैंक में 4,558 करोड़ और बैंक ऑफ बड़ौदा में 3,904 करोड़ रु.

ऐसे पता कर सकते हैं

हर बैंक को लावारिस खातों का विवरण अपनी वेबसाइट पर देना होगा। इसमें ऐसे ब्यौरे भी देने होंगे, जिनकी मदद से ऐसे खाताधारक की पहचान करने में आसानी हो सके। ग्राहक बैंक की वेबसाइट पर विवरण की जांच करने के बाद बैंक शाखा में जा सकते हैं। वहां क्लेम फॉर्म के साथ नो योर कस्टमर से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं।

केंद्रीकृत वेब पोर्टल मदद करेगा

इस अभियान के अलावा आरबीआई ने यह भी कहा है कि वह एक केंद्रीकृत वेब पोर्टल बनाएगा। लोग इस पर अलग-अलग बैंकों की अनक्लेम्ड डिपॉजिट की जानकारी ले सकेंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से सर्च रिजल्ट में सुधार किया जाएगा। इससे लोगों को अपने पैसों के बारे में जानकारी मिल जाएगी, जिसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं है।

अभी इसके बारे में पता करने के लिए लोगों को अलग-अलग बैंकों की वेबसाइट पर जाना होगा। नए वेब पोर्टल से लोगों को एक क्लिक में सभी लावारिस बैंक जमाओं की जानकारी मिल जाएगी। जीएलसी वेल्थ एडवाइजर्स एलएलपी के को-फाउंडर और सीईओ संचित गर्ग ने कहा कि आरबीआई का यह प्रयास अनक्लेम्ड डिपॉजिट के मामलों को निपटाने में काफी मददगार साबित हो सकता है.

(pc rightsofemployees)



 


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