नई दिल्ली। समान नागरिक संहिता की संभावना पर विधि आयोग की राय मांगने के सरकार के कदम पर आदिवासियों के बड़े वर्ग के विरोध के बीच आयोग ने कहा कि वह समुदाय की आपत्तियों और सुझावों को सुनने के लिए तैयार है। विधि आयोग के अध्यक्ष बी एस चौहान ने कहा, आदिवासी समुदाय को आयोग के समक्ष अपनी बात रखनी चाहिए। हम उनका पक्ष भी सुनना चाहेंगे।
उन्होंने कहा कि आयोग आदिवासियों को पूरी कवायद में एक पक्ष मानता है। इस प्रक्रिया में विभिन्न वर्गों के सुझाव आ रहे हैं।उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने कहा, आदिवासी भी पूरी कवायद में भाग ले सकते हैं और विचार-विमर्श कर सकते हैं।
आदिवासी समुदाय के एक वर्ग के विरोध को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि समूह ने उच्चतम न्यायालय में जाकर दलील दी है कि सरकार समान नागरिक संहिता को लागू करने का प्रयास कर रही है जो उनके मूल्यों, परंपराओं और धार्मिक प्रक्रियाओं के खिलाफ होगा।
आदिवासी हितों के संरक्षण के लिए काम करने का दावा करने वाले राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद ने शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कर अपनी परंपराओं और धार्मिक प्रक्रियाओं के संरक्षण की मांग की है।