आज के जमानें में हाथ जोड़कर एक दुसरे का सत्कार करना जैसी परंपरा का मानों अंत सा हो गया है। लेकिन आज भी भारतीयशास्त्रों के अनुसार किसी से मिलनें का सही तरीका यहीं होता है। हिंदू धर्म में बड़ों के पैर छूकर उनके आशीर्वाद लेने और दोनों हाथ जोड़कर उनका सत्कार करनें की परंपरा है। जो आज के युग में ये भले ही पुरानी लगती हो लेकिन शास्त्रो के द्वारा इन्हें व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान देने के पीछे बहुत से ऐसे कारण छिपे हुए है।
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आपको शायद इस बात से हैरानी होगी लेकिन आज भी कई ऐसे लोग है जिन्हें नमन करनेें का सही तरीका मालूम नहीं है। तो आइए जानते है नमन करनें के सही तरीके के बारे में।
नमन करनें का सही तरीका-
= मंदिर में भगवानों को नमस्कार करते समय सर्वप्रथम अपनी दोनों हथेलियों को जोड़कर अंगुलियों को ढीला छोड़ देना चाहिए। इसका भी ध्यान रखाना चाहिए की हाथों की अंगुलियां अपनें अंगूठे से दूर ही रहे। ताकि हाथ जोड़नें पर अपनी पीठ को थोड़ा सा झुकाएं और हथेलियों से भौहों के मध्य भाग को छू लें।
= अपनें मन में अपनें इष्टदेव की मूर्ति बनाने का प्रयास करें। ऐसा करनें के पश्चात अपनें हाथ सीधे नीचे लाकर ना छोड़ दे बल्कि नम्रतापूर्वक छाती के मध्य भाग तक लाएं और कुछ समय तक ऐसे रखें और फिर नीचे लाकर छोड़ दे।
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= जब भी आप अपनें किसी परिचित से मिलें तो आपका उन्हें सत्कार करनें का तरीका भी आदरणीय भाव में होना चाहिए। अपनें हाथो की दोनों अंगुलियों को एक दुसरे से जोड़े और तब आपके अंगूठे छाती से कुछ ऊपर हों।
= ऐसा करनें से आपके अंदर उनके प्रति आदरभाव का संचार उत्पन्न होगा।
= हाथ जोड़ते समय बहुत सी बातों का ध्यान रखना चाहिए जिनमें किसी को भी नमन करते समय अपनें दोनों आंखो को बंद रखना चाहिए। कभी भी मात्र सिर हिलाकर या एक हाथ से कभी नमन नहीं करना चाहिए।
= महिलाएं नमन करते समय अपने सिर को ढ़कें।
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