हिंदू पंचांग के अनुसार माह की कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि और नए चन्द्रमा के पहले दिन को अमावस्या कहा जाता है। शास्त्रों में चन्द्रमा की 16वीं कला को ’अमा’ कहा गया है। अमा महाकला है जिसमें चन्द्रमा की 16 कलाओं की शक्तियां विध्यमान हैं। शास्त्रों में अमा को अनेक नामों से जाना जाता है, जैसे अमावस्या, सूर्य-चन्द्र संगम, अमावासी, अमावसी या अमामासी।
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अमावस्या के दिन चन्द्रमा नहीं दिखता है अर्थात जिसका क्षय और उदय नहीं होता है उसे अमावस्या कहा गया है। अमावस्या माह में एक बार ही आती है। अमावस्या सूर्य और चन्द्र के मिलन का काल है। इस दिन दोनों ही एक ही राशि में रहते हैं। वहीं जब अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है तो इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है।
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हिंदू शास्त्रों में इस तिथि को बहुत महत्व दिया गया है। इस बार चैत्र मास में 27 मार्च यानि कल सोमवार के दिन अमावस्या पड़ रही है। इसलिए इस अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाएगा। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को बहुत ही शुभ माना जाता है क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव का दिन होता है और इस दिन सोमवती अमावस्या का आना पूर्णरूपेण शिवजी को समर्पित होता है। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
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