उपनयन संस्कार के वक्त बोला जाता है ये मंत्र

Samachar Jagat | Saturday, 27 May 2017 09:36:39 AM
These mantras are spoken at the time of Upanayan Samskar

ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य में यज्ञोपवीत संस्कार यानी जनेऊ की परंपरा है। लड़के के दस से बारह वर्ष की आयु के होने पर उसकी यज्ञोपवीत संस्कार किया जाता है। पूर्व काल में जनेऊ पहनने के पश्चात ही बालक को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिलता था। जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है। जनेऊ को संस्कृत भाषा में यज्ञोपवीत कहा जाता है। इसे यज्ञोपवीतधारी व्यक्ति बाऐं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है।

विवाह में आ रही हैं बाधाएं तो करें बृहस्पति देव की पूजा

उपनयन संस्कार के वक़्त लडके को सबसे पहले गायत्री मंत्र सिखाया जाता है, जो वह अपने पिता से सीखता है। जनेऊ में तीन धागे होते हैं। कुंवारे लड़के सिर्फ एक धागा पहनते हैं, शादीशुदा आदमी दो धागे पहनते हैं और शादीशुदा आदमी के बच्चे हैं, तो वह तीन धागे पहनते हैं। यह तीनों धागे आदमी के तीन ऋणों का प्रतीक होते हैं। ये तीन ऋण हैं- शिक्षक का ऋण, माता-पिता और पूर्वजों का ऋण, विद्वानों का ऋण।

क्यों रात को सोते समय पानी से भरकर रखनी चाहिए बाल्टी

जनेऊ के तीन धागे तीन देवी, पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती का प्रतीक भी हैं। यह इस बात के  प्रतीक हैं कि मनुष्य सिर्फ इन तीन देवीओं शक्ति, धन और ज्ञान की मदद से अपनी ज़िन्दगी में सफल हो सकता है। जनेऊ धारण करने के बाद उस व्यक्ति को अपने विचारों, शब्दों और कामों में पवित्रता रखनी चाहिए।

READ MORE :-

एक नहीं, दो नहीं, हनुमान जी के हुए थे तीन विवाह तो भी कहलाए ब्रह्मचारी

इन टोटकों से नई बहू जीत सकती है ससुराल वालों का दिल

बजरंगबली के 12 नामों की महिमा

 

 

 



 

यहां क्लिक करें : हर पल अपडेट रहने के लिए डाउनलोड करें, समाचार जगत मोबाइल एप। हिन्दी चटपटी एवं रोचक खबरों से जुड़े और अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें!

loading...
रिलेटेड न्यूज़
ताज़ा खबर

Copyright @ 2024 Samachar Jagat, Jaipur. All Right Reserved.