इस तरीके से हुआ कृपाचार्य का जन्म, जानकर हैरान रह जाएंगे आप

Samachar Jagat | Saturday, 26 Nov 2016 10:33:51 AM
kripacharya born story

महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे कृपाचार्य। गौतम ऋषि के पुत्र शरद्वान के पुत्र कृपाचार्य महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े। माना जाता है कि इस युद्ध में वे जिंदा बच गए क्योंकि उन्हें चिरंजीवी रहने का वरदान मिला हुआ था। कृपाचार्य के जन्म के संबंध में पूरा वर्णन महाभारत के आदि पर्व में मिलता है। आदि पर्व के अनुसार, शरद्वान महर्षि गौतम के पुत्र थे। वे बाणों के साथ ही पैदा हुए थे। उनका मन धनुर्वेद में जितना लगता था, उतना पढ़ाई में नहीं लगता था। उन्होंने तपस्या करके सारे अस्त्र-शस्त्र प्राप्त किए।

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शरद्वान की घोर तपस्या और धनुर्वेद में निपुणता देखकर देवराज इंद्र बहुत भयभीत हो गए। उन्होंने शरद्वान की तपस्या में विघ्न डालने के लिए जानपदी नाम की देवकन्या भेजी। वह शरद्वान के आश्रम में आकर उन्हें लुभाने लगी। उस सुंदरी को देखकर शरद्वान के हाथों से धनुष-बाण गिर गए। वे बहुत ही संयमी थे और उन्होंने स्वयं को रोक लिया, लेकिन उनके मन में कुछ समय के लिए विकार आया। इसलिए अनजाने में ही उनका शुक्रपात हो गया। वे धनुष, बाण, आश्रम और उस सुंदरी को छोड़कर तुरंत वहां से चल गए।

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उनका वीर्य सरकंडों पर गिरा था, इसलिए वह दो भागों में बंट गया। उससे एक कन्या और एक पुत्र की उत्पत्ति हुई। उसी समय संयोग से राजा शांतनु वहां से गुजरे। उनकी नजर उस बालक व बालिका पर पड़ी। शांतनु ने उन्हें उठा लिया और अपने साथ ले आए। बालक का नाम रखा कृप और बालिका नाम रखा कृपी। जब शरद्वान को यह बात मालूम हुई तो वे राजा शांतनु के पास आए और उन बच्चों के नाम, गोत्र आदि बतलाकर चारों प्रकार के धनुर्वेदों, विविध शास्त्रों और उनके रहस्यों की शिक्षा दी। थोड़े ही दिनों में कृप सभी विषयों में पारंगत हो गए। कृपाचार्य की योग्यता देखते हुए उन्हें कुरुवंश का कुलगुरु नियुक्त किया गया। इसी के साथ ही उन्हें कृपाचार्य के नाम से ख्याति प्राप्त हुई।

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