नई दिल्ली। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग सीसीआई के पास आने वाले मामलों की संख्या में हालांकि इजाफा हो रहा है, लेकिन आयोग में श्रमबल की काफी कमी है। आयोग में मंजूर पदों में 40 प्रतिशत रिक्त हैं।
सीसीआई की स्थापना 2009 में हुई थी। उस समय से इसके पास प्रतिस्पर्धा रोधी 850 से अधिक मामले आ चुके हैं। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाले सीसीआई में कुल मंजूर पदों की संख्या 197 है।
आयोग में कर्मचारियों की कमी पर वित्त पर संसद की स्थाई समिति ने अनुदान मांग 2017-18 में चिंता जताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सीसीआई और महानिदेशक डीजी कार्यालय में कुल मंजूर पदों की संख्या 197 है। 31 दिसंबर, 2017 तक आयोग में कुल 114 अधिकारी नियुक्त थे।
इसमें कहा गया है कि आयोग में खाली पदों की संख्या बढ़ी है क्योंकि प्रतिनियुक्ति पर आए लोगों को उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद रिलीव कर दिया गया है। आयोग में खाली पद प्रतिनियुक्ति, सीधी नियुक्ति और पदोन्नति कोटा से संबंधित हैं। वहीं डीजी में रिक्तियां प्रतिनियुक्ति कोटा से संबंधित हैं। डीजी नियामक की जांच इकाई है। प्रथम दृष्टया प्रतिस्पर्धा नियमों के उल्लंघन से संबंधित मामलों को विस्तृत जांच के लिए डीजी के पास भेजा जाता है।
समिति की पिछले सप्ताह संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि कामकाज के भारी बोझ के मद्देनजर आयोग में कर्मचारियों की काफी कमी है। 197 मंजूर पदों पर 114 अधिकारी ही नियुक्त हैं। सीसीआई के पास 2009 से कुल 853 मामले आए हैं। इनमें से 633 मामलों में उसने फैसला लिया है। शेष में 134 मामले डीजी के पास लंबित हैं और 87 नियामक के पास विचाराधीन हैं।