नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा 8 नवंबर को नोटबंदी का फैसला लिया गया था। आज 8 दिसंबर को नोटबंदी को एक महीना पूरा हो गया है। पिछले एक माह में बाजार चरमरा गए है। कालाधन बैंक तो नहीं आया लेकिन जनता बैंक तक जरूर पहुंच गई। लोग अभी तक बैंकों के आगे कतारों में खड़े है और अभी भी कराह रही है लेकिन नियति मानकर बैठी है। हालांकि बाजार में थोड़ी हलचल तो बढ़ी है लेकिन पहले जैसी नहीं। बाजार में पहले जैसी हलचल आने में अब भी छ महीने से साल भर का समय लग सकता है।
देश की बड़ी किराना मंडियों में से एक पुरानी दिल्ली की खारी बावली बाजार पर भी इसका फर्क पड़ा है, लोग खरीददारी तो कर रहे है लेकिन क्रेडिट कार्ड के सहारे। जिसे दुकानदार भी अब अपना रहे है, थोक विक्रेता अभिषेक मोहन कहते है कि इस महीने प्लास्टिक मनी इस्तेमाल करने वालों की तादाद खासी बढ़ी है। बड़ी दुकानों में भी स्वाइप मशीनों की तादाद बड़ी है।
एक अनुमान के अनुसार देश का किराना कारोबार पिछले एक माह में 60 फीसदी तक गिर गया है जिससे करीब 60 हजार करोड़ की चपत लगी हैं। नोटबंदी से आ रही परेशानी से लोगों में काफी गुस्सा है, खारी बावली की गलियों में परेशान आशा कहती है कि इस फैसले से देश की अर्थव्यवस्था तो नहीं पर घर की अर्थव्यवस्था जरूर गड़बड़ा गई है।
सर्राफा बाजार की हालत भी कस्ता भी परेशान
किराना बाजार के साथ ही सर्राफा बाजार भी नोटबंदी की परेशानी से जूझ रहा है, शादी का सीजन होने के बावजूद भी बाजार में कोई उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है। अपनी बेटी की शादी के लिए गहने खरीदने आए व्यक्ति का कहना है कि इस बार प्लास्टिक मनी से ही सारा काम करना पड़ रहा है। सर्राफा बाजार के महासचिव प्रेमप्रकाश शर्मा बोले कि ऐसा पहली बार हुआ है कि एक ही साल में सरकार की एक्साइज बढ़ाने की वजह से 45 दिनों की हड़ताल रही हो और फिर ये नोटबंदी की मार झेलनी पड़ रही हो, अब दिसंबर भी आ गया है एडवांस टैक्स, वैट और अन्य सभी करों की किस्त भी जमा करनी पड़ेगी।
वित्त मंत्रालय को भेजे सुझाव
सर्राफा बाजार ने वित्त मंत्रालय को सुझाव दिए है कि कारोबार को पारदर्शी बनाने के लिए व्यवस्था तैयार करने की अपील की है, साथ ही बैंक से ट्रांजेक्शन पर 2 प्रतिशत का कर लगाकर सभी बड़े नोटों का प्रचलन बंद करदें, इससे काले धन पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।