नई दिल्ली। इलेक्ट्रिक कार्स व अटॉनमस जैसी टैक्नॉलजी से हम पहले ही इलैक्ट्रिक कार्स को लेकर उम्मीद से लबालब हैं। हाल ही में एक अध्ययन के अनुसार अगले 8 साल में पैट्रोल-डीजल कारें खत्म हो जाएंगी। बताया गया है कि पैट्रोल पंप व स्पेयर पार्ट्स की इतनी कमी हो जाएगी कि लोग इलैक्ट्रिक कारों व अटॉनमस वीइकल्स की तरफ तेजी से रुख करेंगे।
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स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के इकनॉमिस्ट टोनी सीबा का मानना है कि ग्लोबल ऑयल बिजनेस साल 2030 तक आते आते ख़त्म हो जाएगा। टोनी ने बताया कि इलैक्ट्रिक कारों का दौर ट्रांस्पोर्टेशन को पूरी तरह बदल देगा। इसकी वजह उन्होंने बताते हुए कहा कि इलेक्ट्रिक कार्स की कीमत बेहद कम होंगी जिसके चलते फ्यूल कार्स बंद हो जाएंगी। वही पैट्रोल पंप व स्पेयर पार्ट्स की इतनी कमी हो जाएगी कि लोग ना चाहते हुए भी इलैक्ट्रिक कारों का ही इस्तेमाल करेंगे।
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टोनी का कहना है कि इलैक्ट्रिक वीइकल्स पर आने वाले खर्च के चलते उस वक्त कारें, बसें और ट्रक तेजी से घटेंगे, जिससे पैट्रोलियम इंडस्ट्री ख़त्म हो जाएगी।
Rethinking Transportation 2020-2030 शीर्षक के साथ छपी इस अध्ययन रिपोर्ट में सामने आया है कि इलैक्ट्रिक व अटॉनमस वीइकल्स पर आने वाला खर्च पैट्रोल-डीजल के मुकाबले 10 गुना सस्ता होगा। साथ ही इलैक्ट्रिक वीइकल्स की लाइफ 16,09,344 किलोमीटर होगी, वहीं पैट्रोल-डीजल पर चलने वाले वाहनों की लाइफ 3,21,000 किलोमीटर ही होती है।
आपको बता दें कि ऑडी,फोक्सवैगन,मर्सेडीज बेंज और वॉल्वो जैसे ऑटोमेकर्स ने पहले ही इलेक्ट्रिक कार्स व अटॉनमस टेक्नॉलजी से हाथ मिला लिया है। भारत की बात करें तो यहां नागपुर शहर में महिंद्रा और ओला जैसी कंपनियां जल्द इलैक्ट्रिक कैब्स की शुरूआत करने जा रही हैं।
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