जयपुर। एक ऐसी बीमारी है जिसके मरीज आपके आस-पास सबसे ज्यादा नजर आते हैं। आज की तारीख में आम बीमारियों में से एक है डिप्रेशन। बच्चे, जवान और बूढ़े हर तबके के लोग इस बीमारी के शिकार हैं। कारण सबका अलग-अलग हो सकता है पर लक्षण लगभग एक जैसे ही हैं। ऐसा नहीं कि डिप्रेशन लाइलाज है। बस उसके लिए जरूरी है खुद को बेहतर करना। डॉक्टर प्रदीप शर्मा का कहना है कि डिप्रेशन के शिकार लोगों में आत्मविश्वास फिर से लौट आए तो उन्हें इस बीमारी से छुटकारा मिल सकता है। क्या है डिप्रेशन। कैसे होता है डिप्रेशन और क्या हैं इसके कारण। जानिएं...
क्या है डिप्रेशन
दरअसल डिप्रेशन एक डिसऑर्डर है, जिसमें उदासी की भावना किसी इंसान को दो हफ्ते या इससे भी ज्यादा लंबे वक्त तक घेरे रहती है। इससे लाइफ में उसकी दिलचस्पी कम हो जाती है। उसमें नेगेटिव फीलिंग्स भी आ जाती हैं। किसी काम के अच्छे नतीजे की उसे बिल्कुल आशा नहीं रहती। डिप्रेशन में किसी भी इंसान को अपना एनर्जी लेवल लगातार घटता महसूस होता है। इस तरह की भावनाओं से वर्कप्लेस पर किसी भी इंसान की परफॉर्मेंस पर असर पड़ता है।
बच्चे भी डिप्रेशन का शिकार
ऐसा नहीं कि डिप्रेशन सिर्फ पुरुषों या महिलाओं में होता है। बल्कि डिप्रेशन के शिकार आज की तारीख में बच्चे भी हो रहे हैं। एक रिसर्च के मुताबिक स्कूल जाने वाले बच्चों में डिप्रेशन का मामला लगातार ज्यादा देखा जा रहा है। और यही वजह है कि बच्चों में सुसाइड की घटना पहले से बढ़ी है। बड़ी बात ये है कि बच्चों में डिप्रेशन के कारण बहुत छोटे-छोटे होते हैं। पैरेंट्स की उम्मीदों पर पढ़ाई में खरे न उतरना। घर में दो बच्चों की तुलना से किसी एक बच्चे में डिप्रेशन आ जाना। मां-बाप के आपसी संबंध ठीक न रहने से बच्चे में डिप्रेशन आ जाना। ये कई मुख्य कारण है बच्चों के डिप्रेशन का।
यह है डिप्रेशन के लक्षण
मानसिक : दो सप्ताह से ज्यादा लगातार उदासी, असंगत महसूस करना, मिजाज में उतार-चढ़ाव, भूलना, एकाग्र न हो पाना, गतिविधियों में रुचि न लेना, चिंता, घबराहट, अकेलापन, शारीरिक देखभाल में अरुचि, नशे की इच्छा होना आदि।
विचार व अनुभूति : असफलता संबंधी विचार, स्वयं को कोसना, शीघ्र निराश होना, असहयोग, निकम्मेपन के विचार, दुर्भाग्यपूर्ण कार्य के लिए स्वयं को जिम्मेदार ठहराना, भविष्य के लिए नकारात्मक व निराशावादी दृष्टिकोण, आत्महत्या के विचार आदि।
शारीरिक : सामान्य नींद की प्रक्रिया में विघ्न, नींद न आना व सुबह जल्दी उठ जाना, किसी काम को धीरे-धीरे करना, भूख में कमी, लगातार वजन कम होना, थकान महसूस होना, मुंह सूखना, कब्ज, अतिसार, सिर, पेट, सीने, पैरों, जोड़ों में दर्द, भारीपन, पैरों में पसीना, सांस लेने में दिक्कत आदि।
डिप्रेशन से कैसे बचें :
- प्रतिदिन व्यायाम करें
- शराब और सिगरेट से दूरी बनाएं
- सकारात्मक सोच को अपनाएं
- रोजाना पूरी नींद लें
- परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताकर डिप्रेशन से लड़ा जा सकता है
डॉ. प्रदीप शर्मा कहते हैं कि हर हाल में इस बीमारी से निजात लोगों को खुश रहना चाहिए, क्योंकि खुशी ही हमारी सेहत का मूलमंत्र है। डिप्रेशन का सबसे बड़ा टॉनिक है खुशनुमा माहौल, अच्छी बातें, अच्छी किताबों का साथ और पॉजीटिव थिंकिंग। अपने तौर तरीके में बदलाव। मतलब ये है कि इस दौरान आप अपने अधूरे शौक को पूरा करने की कोशिश करें। टारगेट बनाएं और किसी काम को पूरा करने के छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करें। ऐसा करने से डिप्रेशन नहीं होगा।
इसके अलावा अगर समस्या ज्यादा लगे तो डॉक्टर के पास जाएं। डॉक्टरों की तरफ से दी जाने वाली थेरेपी का इस्तेमाल करें। पर ध्यान रहे डिप्रेशन को लंबे समय तक कायम न रहने दें वरना ये घातक हो सकता है।
- डॉ. प्रदीप शर्मा (मनोरोग विभाग, सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज व मनोचिकित्सा केन्द्र)
Source : rajasthankhabre.com