City News : परिवार की खुशियों के लिए बनी वह दुर्गा

Samachar Jagat | Wednesday, 22 Feb 2023 05:04:14 PM
City News : That Durga made for the happiness of the family

समाचार जगत पोर्टल डेस्क। समाज में नारी का स्थान कोई दूसरा नहीं ले सकता। जरूरत पड़ने पर वह दुर्गा तो काली का रूप धारण कर सकती है। यह वाकिया इसी तरह की एक महिला का है। जिसने पत्नी बनकर पति का पूरा साथ दिया। मगर जब उस पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा तो वह संघर्ष देवी बन कर अपने परिवार का सहारा बन गई।

अच्छी खासी पढ़ी लिखी यह युवती करोड़ों पति परिवार में पैदा हुई थी। हर तरह की सुविधाएं भोगने को मिली। उसकी खुशियों को बर्बादी का ग्रहण उस वक्त लगा जब परिजनों ने उसे ऐसे परिवार में एक ऐसे परिवार की बहु बना दिया, जिसने शादी और विवाह को सिवाय कलंक के कुछ नहीं माना।ओर इस पवित्र बंधन को कमाई का जरिया बना लिया। कहने को अनाबिका में किसी बात की कमी नहीं थी। हाईली अजुकेटेड थी। साथ ही खूबसूरती का कोई मुकाबला नहीं था। मगर दहेज के लोभियों ने होंडा सिटी कार और पचास लाख नगद की डिमांड की। उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो उसके साथ मारपीट शुरू करदी।

एक साल के बाद उसने बेटी को जन्म दिया। दुष्ट सास ने अपनी नवजात पोती को मारने का प्रयास किया। और उन मां बेटे को सीढ़ियों से धक्का दे दिया। मगर कहा जाता है ना , मारने वाले से बचाने वाला बड़ा। बड़ी ही मुश्किल से मां और बेटी की जान बच गई। आए दिन की मारपीट से दुखी हो कर अनामिका अपने पीहर चली आई। मगर पिता और भाई ने उसे दुत्कार दिया। मां चाह कर भी कुछ नहीं कर पाई। मजबूरी में क्या करती। फिर से अपने दानव रूपी सास और दुष्ट पति के पास लौटना पड़ा। इस बीच वह फिर से प्रिग्नेंट हो गई। मगर मारपीट का दौर जारी रहने पर उसे आठ माह तक बिस्तर पर ही रहना पड़ा।

दूसरी बार  भी उसे बेटा मिला तो भी उनका व्यवहार नहीं बदला। इस का असर उसके बड़े बेटे पर पड़ा। पांच साल का यह मासूम बच्चा गुमसुम रहने लगा। समय पर उपचार ना मिलने पर वह  बोलना तो लगभग भूल ही गया। नार्मल होते हुवे भी उसे डिसेबिलिटी वाले बच्चों के साथ डालना पड़ा। जिंदगी का यह मोड़ बड़ा ही खतरनाक था। उसे अपने  पति से तलाक लेना पड़ा। रोजी के नाम पर अनामिका के पास कुछ भी नही था। तभी उसके पास क्राइम रिपोर्टिंग के लिए महिलाओं पर अत्याचारों का टॉपिक दिया गया।

कड़ी मेहनत के चलते मेने अपनी अलग  पहचान बनाई। अब तक तेरह किताबे लिखी। घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को कानूनी मदद देना शुरू किया। दूसरों की खुशियों के लिए काम करने पर सेंट स्टीफंस कॉलेज से इंग्लिश ओनार्श करके महिला एवम विकाश मंत्रालय में कंसल्टेंट का जॉब मिल गया। इसके बाद तो मुझे सफलता का खुला मंच मिल गया और ढेर सारे अवार्ड मिले। मेरा असल अवार्ड मेरे बच्चे ही है। जिनकी मदद से मुझे जीने का मकसद दिया।



 


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