बीजिंग। चीन के आधिकारिक थिंक टंैक ने दलाई लामा की इस बात का प्रतिवाद किया है कि उनके उत्तराधिकारी का फैसला चीन सरकार नहीं कर सकती है। उनका कहना है कि तिब्बती बौद्ध धर्म के अगले सर्वोच्च गुरू को निश्चित तौर पर चीन की मंजूरी की जरूरत होगी।
शंघाई के तोंगजी विश्वविद्यालय के दक्षिण एशिया अध्ययन केंद्र के सह-निदेशक वांग देहुआ ने कहा, ‘‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार का दावा है कि उसके पास छिंग राजवंश के छ्यानलोंग सम्राट द्वारा शुरू परम्परा के अनुसार उसके पास तिब्बत में इस पद के नाम को मंजूरी देने का अधिकार है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे ख्याल से दलाई लामा द्वारा यह कहना हास्यास्पद है कि उन्होंने सदियों पुरानी परंपरा में बदलाव किया है क्योंकि उसमें वर्ष 1959 में ही परिवर्तन किया जा चुका था। अगर दलाई लामा का प्रतिनिधि चीनी और ऐतिहासिक नियमों तथ तिब्बती लोगों की इच्छा के अनुसार चुना जाता है तो केंद्र सरकार निश्चित रूप से उसको समर्थन देगी, और तिब्बत के लोग भी करेंगे।’’
अरूणाचल प्रदेश में चीन की सीमा के निकट तवांग में दलाई लामा ने शनिवार को कहा था कि चीन की सरकार यह तय नहीं कर सकती है कि अगला दलाई लामा कौन होगा।
हालांकि तवांग में दिए गए दलाई लामा के बयान पर चीन की सरकार की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। चीन इस क्षेत्र को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता रहा है।
फुडान विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट ऑफ अमेरिकन स्टडीज के उप डीन शेन दिंग्ली ने भी कहा कि दलाई लामा कहते आए हैं कि उनके निधन के बाद दलाई लामा की परंपरा खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि हालांकि उनके उत्तराधिकारी के लिए चीन की स्वीकृति होगी।