FIPIC देशों को स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल की तमाम सुविधाएं देगा भारत

Samachar Jagat | Monday, 22 May 2023 02:19:02 PM
India will provide all facilities of health, education, drinking water to FIPIC countries

पोर्ट मोरेस्बी (पापुआ न्यूगिनी) । भारत ने प्रशांत द्वीपीय देशों के लिए स्वास्थ्य, पेयजल, शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी और औद्योगिक विकास के लिए कई महत्वपूर्ण सौगातें देने की आज घोषणा की और मानवीय सहयोग की इस साझीदारी को और मजबूत करने का संकल्प व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पापुआ न्यूगिनी की राजधानी में आयोजित फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स कोऑपरेशन (फिपिक) के तीसरे शिखर सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए ये घोषणाएं कीं।श्री मोदी ने अपने संबोधन में फिपिक शिखर सम्मेलन में 14 प्रशांत द्वीप देशों - फिजी, पापुआ न्यू गिनी, टोंगा, तुवालु, किरिबाती, समोआ, वानुअतु, नीयू, माइक्रोनेशिया के संघीय राज्य, रिपब्लिक ऑफ मार्शल आइलैंड्स, कुक आइलैंड्स, पलाऊ, नौरू और सोलोमन आइलैंड्स के नेताओं के आने और विचार मंथन में शामिल होने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि आज के इस मंथन से जो विचार उभरे हैं, उनपर निश्चित रूप से गौर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी कुछ साझा प्राथमिकताएँ हैं और प्रशांत द्वीपीय देशों की कुछ आवश्यकताएँ हैं।

इस मंच पर हमारा प्रयास है कि हमारी साझीदारी इन दोनों पहलूओं को ध्यान में रखते हुए चले।श्री मोदी ने फिपिक में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए कुछ घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि प्रशांत क्षेत्र में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा को सशक्त करने के लिये हमने फ़िजी में एक सुपर-स्पेशियलिटी कार्डियोलॉजी अस्पताल बनाने का निर्णय किया है। प्रशिक्षित स्टाफ़, अत्याधुनिक सुविधाओं और इंफ़्रास्ट्रक्चर से युक्त यह अस्पताल पूरे क्षेत्र के लिए एक लाइफलाइन बनेगा। भारत सरकार इस मेगा ग्रीन-फ़ील्ड प्रोजेक्ट का पूरा खर्चा उठाएगी।उन्होंने कहा कि भारत सभी 14 प्रशांत द्वीपीय देशों मे डायलिसिस यूनिट् लगाने मे मदद करेगा और इन 14 देशों को समुद्री एम्बुलेंस भी प्रदान की जायेगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में फ़िजी में हमने जयपुर फुट कैंप लगाया था। इस कैंप में 600 से अधिक लोगों को बिना किसी शुल्क कृत्रिम अंग लगाए गए। उन्होंने कहा कि इस वर्ष हमने पापुआ न्यूगिनी में जयपुर फुट कैंप लगाने का फैसला किया है। वर्ष 2024 से, हर साल इस तरह के दो और कैंप प्रशांत द्वीपीय देशों मे लगाये जायेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में जन औषधि स्कीम के द्वारा, किफायती दामों पर अच्छी गुणवत्ता की 1800 जेनेरिक दवाइयां लोगो को दी जा रही हैं। उदहारण के तौर पर, मधुमेह रोधी दवा, बाज़ार की कीमत के मुकाबले जन औषधि केंद्र में 90 प्रतिशत तक कम और बाकी सभी दवाएं 60 से 90 प्रतिशत तक कम कीमत पर मिलती है। उन्होंने इसी तरह के जन औषधि केन्द्र को प्रशांत द्वीपीय देशों में भी खोलने का प्रस्ताव किया।श्री मोदी ने कहा कि वैज्ञानिक अध्ययन से पता चलता है कि मधुमेह जैसे जीवनशैली संबंधी रोग से बचाव मे योग बहुत काम आ सकता है। भारत प्रशांत द्वीपीय में योग केन्द्र स्थापित करने का प्रस्ताव करता है। उन्होंने कहा कि फिजी के नागरिकों के लिए एक सप्ताह के सातों दिन एवं चौबीसों घंटे आपातकालीन हेल्पलाइन की सुविधा तैयार की जाएगी। प्रशांत द्वीपीय क्षेत्र के सभी देशों में भी इस तरह की सुविधा स्थापित करने में हमें खुशी होगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पापुआ न्यूगिनी में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर आईटी का उन्नयन करके उसे क्षेत्रीय सूचना प्रौद्याेगिकी एवं साइबर सुरक्षा हब के रूप में तैयार किया जाएगा। उन्होंने हर एक प्रशांत द्वीपीय देश में लघु एवं मध्यम उद्यम सेक्टर के विकास के लिए परियोजना की घोषणा करते हुए कहा कि इस योजना के तहत मशीनरी और टेक्नोलॉजी आपूर्ति की जाएगी और क्षमता निर्माण के लिए कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।उन्होंने कहा कि प्रशांत द्वीपीय राष्ट्राध्यक्षों के आवासों को सौरऊर्जा युक्त करने की परियोजना सभी ने पसंद की। अब हम सभी फिपिक देशों मे कम से कम एक सरकारी इमारत को सौर ऊर्जा युक्त बनाएंगे। उन्होंने पीने के पानी की समस्या को दूर करने के लिए, हर प्रशांत द्वीपीय देश के लोगो के लिए खारे पानी को मीठा बनाने वाली डिसैलिनेशन यूनिट देने की भी घोषणा की।

श्री मोदी ने फिपिक देशों में क्षमता निर्माण में हमारे दीर्घकालिक सहयोग को आगे बढ़ाते हुए प्रशांत द्वीपीय देशों के लिए ‘सागर अमृत छात्रवृत्ति’ योजना शुरू करने तथा इसके अंतर्गत अगले पांच सालों मे 1000 आईटीईसी प्रशिक्षण सीटें आवंटित करने का भी ऐलान किया।प्रधानमंत्री ने फिपिक के प्रति अपने विशेष लगाव को प्रकट करते हुए कहा कि यह सीमाओं को चुनौती देता है। और साथ ही मानवीय सहयोग की सीमाओं को असीमित मानता है। आशा है कि अगली बार भारत में आपका स्वागत करने का मौका मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि एक मित्र के रूप में उन्हें यह भी आशा है कि संयुक्त राष्ट्र में वैश्विक दक्षिण की आवाज उठाने के लिए, 2028-29 में भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सदस्यता को प्रशांत द्वीपीय देशों का भी समर्थन मिलेगा।

Pc:Amrit Vichar



 


Copyright @ 2024 Samachar Jagat, Jaipur. All Right Reserved.