मानसून एक ऐसा मौसम है जो हर साल विभिन्न बैक्टीरिया और बीमारियों को जन्म देता है। डेंगू एक ऐसी बीमारी है जो बारिश के दौरान व्यापक रूप से फैलती है। वायरल रोग मुख्य रूप से संक्रमित मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है।मानसून के मौसम में कई जगहों पर रुका हुआ पानी मिल सकता है और रुके हुआ पानी वाले स्थान पर मच्छरों के लिए प्रजनन स्थल बन सकता है।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डेंगू के मामले आमतौर पर जुलाई और नवंबर के महीनों के बीच बढ़ते हैं। डेंगू से प्रभावित लोगों को दाने, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द और बुखार सहित लक्षणों का सामना करना पड़ता है।यदि किसी व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो तो डेंगू से बचा जा सकता है। यहां कुछ आयुर्वेदिक घरेलू उपचार दिए गए हैं जो डेंगू के प्रसार को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
नीम के पत्ते
नीम को कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुणों के कारण इसे डेंगू उपचार के लिए उपयोग किया जाता है। आप अपनी इम्युनिटी को मजबूत करने के लिए नीम के रस का सेवन कर सकते हैं या नीम के पत्तों को चबा सकते हैं।
पपीते के पत्ते
पपीते के पत्तों का उपयोग पारंपरिक रूप से मलेरिया से बचाव के लिए किया जाता रहा है। डेंगू से पीड़ित रोगियों के लिए औषधीय गुण भी बहुत अच्छे हैं। कई अध्ययनों के अनुसार, पपीते के पत्ते का रस शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाने में मदद कर सकता है।
कालमेघ
कालमेघ एक कड़वा स्वाद वाली जड़ी बूटी है जिसे 'भूनीम' भी कहा जाता है। इस जड़ी बूटी की पत्तियों का उपयोग वायरस को फैलने से रोकने के लिए किया जाता है। इसमें एंटी-मलेरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबायोटिक गुण होते हैं।