नई दिल्ली। एक दूसरे की वैधानिक अकांक्षाओं का सम्मान करने का आह्वान करते हुए भारत ने शुक्रवार को कहा कि चीन को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी तक पहुंच हासिल करने के नई दिल्ली के प्रयास को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए। ‘इंडिया चाइना थिंक-टैंक फोरम’ को संबोधित करते हुए विदेश सचिव एस जयशंकर ने ‘कट्टरंपथी आतंकवाद’ से निपटने में द्विपक्षीय सहयोग की पैरवी की और इसको लेकर निराशा जताई कि दोनों देश महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को लेकर साथ नहीं आ पा रहे हैं।
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उनकी यह टिप्पणी चीन के संदर्भ में देखी जा रही है, जो जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयास का विरोध कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘बदलाव के समय हमें सामरिक संवाद की ओर बड़े पैमाने पर फोकस करना चाहिए। इससे दोनों देशों के बीच की गलतफहमी दूर होगी और दोनों के बीच व्यापक विश्वास और सहयोग बढ़ाने में मदद मिल सकती है’।
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एनएसजी के लिए भारत के प्रयास का जिक्र किये बगैर ही जयशंकर ने इस परमाणु प्रौद्योगिकी नियंत्रक समूह को विस्तार देने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के क्रियान्वयन जैसे बड़े वैश्विक मुद्दों पर भारत एवं चीन के बीच बड़े पैमाने पर सहयोग होना चाहिए।
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