भारत में बहुत सारे शिव मंदिर हैं जो विश्व प्रसिद्ध हैं लेकिन हम आपको यहां ऐसे अनोखे शिव मंदिरों के बारे में बता रहे हैं जो बहुत प्रसिद्ध तो नहीं हैं लेकिन ये शिव मंदिर दूसरे शिव मंदिरों से कुछ अलग हैं। चलिए आपको बताते हैं इन शिव मंदिरों के बारे में....
30 फीट व्यास और 55 फीट ऊंचा बाबा विश्वनाथ मंदिर :-
यह एक ऐसे अनोखे मंदिर है, जो 30 फीट व्यास और 55 फीट ऊंचे शिवलिंग के आकार का है। भदैनी स्थित वनखंडी साधुबेला आश्रम द्वारा बनवाया गया ये मंदिर परंपरागत शैली से अलग है। मंदिर का निर्माण जयपुर के कारीगरों द्वारा किया गया है।
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200 ग्राम वजनी गेहूं के दाने के लिए प्रसिद्ध गममलेश्वर महादेव मंदिर :-
ममलेश्वर महादेव मंदिर हिमाचल प्रदेश की करसोगा घाटी के ममेल गांव में स्थित है। महाभारत काल में पांडवो ने अपने अज्ञातवास का कुछ समय इसी गांव में बिताया था। इस मंदिर में एक प्राचीन ढोल है जिसके बारे में कहा जाता है की ये भीम का ढोल है। इसके अलावा मंदिर में स्थापित पांच शिवलिंगों के बारे में कहा जाता है की इसकी स्थापना स्वयं पांडवों ने की थी। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यहां का गेहूं का दाना है जिसे की पांडवों का बताया जाता है। यह दाना 200 ग्राम वजनी और 5000 साल से भी ज्यादा पुराना है। यह गेहूं का दाना पुजारी के पास रहता है।
एक लाख छिद्र वाला लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर :-
छत्तीसगढ़ खरौद नगर में एक दुर्लभ शिवलिंग स्थापित है। जिसे लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में शिवलिंग है, जिसमें एक लाख छिद्र हैं, इस कारण इसे लक्षलिंग कहा जाता है, इसमें से एक छिद्र पातालगामी हैं, जिसमें कितना भी पानी डाला जाए, उतना ही समाहित हो जाता है, छिद्र के बारे में कहा जाता है कि इसका रास्ता पाताल की ओर जाता है।
सैंड स्टोन की तरह दिखने वाला कन्दारिया महादेव मंदिर :-
कन्दारिया महादेव मंदिर खजुराहो, मध्य प्रदेश में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण चन्देल वंश के पराक्रमी राजा यशोवर्मन ने 1025-1050 ई. के आस-पास करवाया था। यह मंदिर 109 फुट लम्बा, 60 फुट चौड़ा और 116 फुट ऊँचा है। इस मंदिर की अनोखी बात ये है कि यहां के प्रत्येक भाग में केवल दो और तीन फुट ऊंची मूर्तियों की संख्या ही 872 है। छोटी मूर्तियां तो असंख्य हैं। अगर कुछ दूर से आप इसे देखें तो आपको लगेगा कि आप सैंड स्टोन से बने मंदिर को नहीं बल्कि चंदन की लकड़ी पर तराशी गई कोई भव्य आकृति देख रहे हैं। यह मंदिर बलुआ पत्थर से बना है। इसकी मूर्तियों, दीवारों और स्तम्भों में बहुत ही चमक है। इसका कारण चमड़े से जबरदस्त घिसाई है। इस अनोखे मंदिर की दीवारें और स्तम्भ इतने खूबसूरत बने हुए हैं कि पर्यटक उन्हें देखकर हैरान रह जाते हैं।
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हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल झारखंडी शिव मंदिर :-
गोरखपुर से 25 किमी दूर खजनी कस्बे के पास सरया तिवारी गांव है। यहां पर महादेव का एक अनोखा शिवलिंग स्थापित है जिसे झारखंडी शिव कहा जाता है। मान्यता है कि यह शिवलिंग कई सौ साल पुराना है और यहां पर इनका स्वयं प्रादुर्भाव हुआ है। यह शिवलिंग हिंदुओं के साथ मुस्लिमों के लिए भी उतना ही पूजनीय है क्योंकि इस शिवलिंग पर एक कलमा (इस्लाम का एक पवित्र वाक्य) खुदा हुआ है। लोगों के अनुसार महमूद गजनवी ने इसे तोड़ने की कोशिश की थी, मगर वह सफल नहीं हो पाया। इसके बाद उसने इस पर उर्दू में ‘लाइलाहाइल्लललाह मोहम्मदमदुर्र् रसूलुल्लाह’ लिखवा दिया ताकि हिंदू इसकी पूजा नहीं करें। आज यह मंदिर साम्प्रदायिक सौहार्द की एक मिसाल बन गया है क्योंकि हिन्दुओं के साथ-साथ रमजान में मुस्लिम भाई भी यहां पर आकर अल्लाह की इबादत करते है।
रंग बदलने वाला अचलेश्वर महादेव मंदिर :-
राजस्थान के धौलपुर जिले में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है यहां स्थित शिवलिंग दिन मे तीन बार रंग बदलता है। सुबह शिवलिंग का रंग लाल रहता है, दोपहर को केसरिया रंग का हो जाता है, और जैसे-जैसे शाम होती है शिवलिंग का रंग सांवला हो जाता है। ऐसा क्यों होता है इसका किसी के पास जवाब नहीं है। भगवान अचलेश्वर महादेव का यह मंदिर हजारों साल पुराना है। इस शिवलिंग कि एक और अनोखी बात यह है कि इस शिवलिंग के छोर का आज तक पता नहीं चला है। कहते है बहुत समय पहले भक्तों ने यह जानने के लिए कि यह शिवलिंग जमीं मे कितना गड़ा है, इसकी खुदाई की, पर काफी गहराई तक खोदने के बाद भी उन्हे इसके छोर का पता नहीं चला।