नई दिल्ली। देश को वर्ष 2020 तक दुनिया के शीर्ष पांच फार्माश्यूटिकल नवाचार वाले देशों की सूची में जगह दिलाने तथा इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर उपस्थिति को मजबूत बनाने की योजना बनाई गई है और इसको लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश में विकसित पांच- दस दवाओं में से एक को वैश्विक बाजार में लांच किया जा रहा है।
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उद्योग एवं वाणिज्य संगठन एसोचैम और शोध एवं सलाह देने वाली संस्था टेकसाई रिसर्च के संयुक्त अध्ययन "आईपीआर इन फार्माश्यूटिकल्स बैलेंसिंग, इनोवेशन एंड एक्सेस" में यह बात सामने आई है। अध्ययन के अनुसार सरकार नवाचार एवं क्षमता को बढ़ाने के लिए सरकारी निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत 50 प्रतिशत सार्वजनिक फंडिंग समेत कई करोड़ डॉलर निवेश की योजना पर काम कर रही है।
सरकार ने फार्मा क्षेत्र में ऑटोमेटिक रूट के तहत 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दी है। एफडीआई से शोध एवं विकास क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा जिससे घरेलू फार्मा उद्योग प्रभावित होगा। सरकार ने इस क्षेत्र के तेज विकास के लिए सक्रिय तौर पर नीतिगत मुहिमों की शुरुआत की है।
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इसी तरह की एक मुहिम फार्मा क्षेत्र में कर छूट है। इसके तहत शोध एवं विकास पर होने वाले व्यय पर कर में भारी छूट देने की बात कही गई है। इसके अलावा वर्ष 2003 में लांच न्यू मिलेनियम इंडियन टेक्नोलॉजी लीडरशिप इनिशियेटिव तथा वर्ष 1994-95 में लांच ड्रग्स एंड फार्माश्यूटिकल रिसर्च प्रोग्राम भी महत्वपूर्ण हैं।- एजेंसी