नई दिल्ली। ये तो आप ने सुना ही होगा कि अदालत ने किसी जघन्य अपराध के मामले में दोषी को फांसी की सजा दी और उसे तय दिन और तय वक्त पर फांसी दे दी गई। किन्तु कभी आपने ये सोचा है कि फांसी हमेशा सुबह-सुबह ही क्यों दी जाती है?
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फांसी देने के भी कुछ नियम-
फांसी खुले में नहीं दी जाएगी और फांसी की जगह पर कुछ चुनिंदा लोग ही मौजूद होंगे।
इसके अलावा दोषी को सुबह सुबह फांसी देने के पीछे कुछ प्रशासनिक कारण होते हैं जैसे कि जेल प्रशासन के लिए किसी को फांसी देना एक बड़ा काम होता है इसलिए इस काम को सुबह-सुबह ही अंजाम दे दिया जाता है ताकि इसकी वजह से दिन का सारा वक्त प्रभावित ना हो।
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फांसी के बाद मेडिकल टेस्ट, रजिस्टर एंट्री और नोट्स जैसी कई प्रक्रियाओं को पूरा करना होता है जिसमें समय लगता है। एक वजह यह भी है कि परिवारवालों को समय पर लाश सौंपनी होती है ताकि वो उसका क्रियाकर्म कर सकें।
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सुबह-सुबह फांसी देने के पीछे एक नैतिक कारण भी है। ऐसा ऐसा माना जाता है कि फांसी की सजा जिसको सुनाई गई हो, उसको पूरा दिन इंतजार नहीं कराना चाहिए, इससे उसके दिमाग पर गहरा असर पड़ता है।