आज का समाज का माहौल कुछ ऐसा हो चला है कि न तो बड़ों के पास बुजुर्गों के लिए समय है और न ही बच्चों के पास। ऐसे में इज्जत का तो सवाल ही नहीं उठता। इसलिए अब समय आ गया है कि परिवार और समाज में हो रहे इस निरंतर नुकसान की भरपाई की जाए और बच्चों का उनका दादा-दादी और नाना-नानी से संबंध सुधारा जाए, क्योंकि यह रिश्ता बहुत ही अहम है।
क्योंकि आज बच्चों के मम्मी-पापा तो ऑफिस चले जाते हैं और बच्चों को दादा-दादी या नाना-नानी के पास ध्यान रखने के लिए छोड़ जाते हैं। कभी भी इग्नोर न करें एक पेरेंट होने के नाते आपकी ये जिम्मेदारी बनती है कि अगर आप एक बार भी अपने बच्चों को उनके ग्रांडपेरेंट्स से दुर्व्यवहार करते देखें तो चुप न रहें।
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यह आपके लिए बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं होना चाहिए क्योंकि संभव है कि वे आपसे भी आपके बुढ़ापे में ऐसा ही असम्मानजनक व्यवहार करें। इसलिए आपका पेरेंटल मिशन अपने बच्चों और उनके ग्रांडपेरेंट्स के बीच की दूरियों को मिटाना होना चाहिए। कभी चीजों का हाथ से निकलने का इंतजार न करें। बच्चों को समझा दीजिए कि बड़ों की इज्जत करनी ही होगी।
अगर उन्हें ग्राण्डपेरेन्ट्स से कोई शिकायत भी है तब भी उन्हें इसकी इजाजत हर्गिज़ नहीं मिलेगी। खुद भी कीजिए इज्जत आपका बच्चों को बड़ों की इज्जत करना सिखाने का प्रयास व्यर्थ जाएगा, अगर आप खुद उनके साथ इज्जत से पेश नहीं आएं।
एक बात अच्छे से समझ लें कि आप अपने बच्चों की रोल मॉडल है। इसलिए आपके न चाहते हुए भी वे आपके व्यवहार को देखकर उसे अपने जीवन में उतारते हैं। और जब आप उन्हें इसके लिए डांटते हैं तो फिर आपको ही आईना दिखाने की कोशिश करने लगते हैं। इसलिए अगर आप इस तरह के अनुभव से बचना चाहते हैं और आप सच में चाहती हैं कि आपके बच्चे बड़े-बुजुर्गों की इज्जत करें तो आप भी उनकी इज्जत करें। इसलिए बच्चों को सिखाने से पहले आपको भी सीखना होगा और उस पर अमल करना होगा। भावनाओं को व्यक्त करें भावनाओं को रोकना या फिर एकदम खुलेमन से अपनी भावनाएं व्यक्त करने के बीच का रास्ता पाना थोड़ा मुश्किल है।
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इसलिए या तो हम अपनी भावनाएं प्रकट ही नहीं करते या फिर जरूरत से ज्यादा प्रकट करते हैं और फिर गलतियां करते हैं। आप या तो बहुत रिजव्र्ड या यहां तक कि शर्मीली हैं तो आपके बच्चों को अपनी भावनाएं व्यक्त करने में परेशानी होगी।
यदि आप अपने बच्चे और उनके ग्रांडपेरेंट्स के बीच भावनात्मक बंधन चाहती हैं तो सबसे पहले आपको अपने पेरेंट्स के प्रति अपनी भावनाओं को प्रकट करना सीखना होगा और वो भी बच्चों की उपस्थिति में। ताकि वो भी अपने मन की बातें अपने ग्रांडपेरेन्ट्स से शेयर कर सकें। जन्मदिन मनाएं, विश करें...पेरेंट्स होने के नाते अपने बच्चों को भी ग्रांड पेरेंट्स के जन्मदिन की तैयारियों में शामिल करें। बच्चों की सक्रिय भागीदारी उनके दिल में बुजुर्गों के लिए एक खास जगह बनाएगी। क्योंकि जब वे छुटपन से ही ग्रांड पेरेंट्स को विश करने लगेंगे तो बाद में उन्हें अलग से समझाना नहीं पड़ेगा।
परिवार की कहानियां शेयर करें यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि आज के जमाने के बच्चे अपने ग्रांड पेरेंट्स, ग्रेट ग्रांड पेरेंट्स और परिवार से जुड़ी दूसरी यादों के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। लेकिन इसका कारण कोई और नहीं बल्कि आप खुद हैं। इसलिए अपने बच्चों को उनके ग्रांड पेरेंट्स के सामने आई चुनौतियों और उससे उबरने की कहानियां सुनाएं।
अगर हो सके तो आप उन्हें ये कहानियां तस्वीरों के साथ सुनाएं। कुल मिलाकर बच्चों को यह समझ में आना चाहिए कि बुजुर्गों के प्रति प्रेम की भावना रखना सामान्य और अच्छी आदत है। लालच न दें लेकिन इसके लिए उन्हें कोई लालच न दें जैसे अगर तुम दादाजी के साथ घूमने जाओगे तो दादाजी या आप टॉफी देंगी। क्योंकि फिर वो ये काम सिर्फ उस लालच को पाने के लिए करेंगे, दिल से नहीं।