चकमा शरणार्थियों ने भारत की नागरिकता मांगी

Samachar Jagat | Tuesday, 11 Oct 2016 10:50:07 PM
Chakma refugee seek Indian citizenship

नई दिल्ली। पांच दशक पहले बांग्लादेश से विस्थापित होकर भारत आए चकमा शरणार्थियों का एक प्रतिनिधिमंडल आज केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह से मिला और उनसे नागरिकता दिलाने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की।

ऑल इंडिया चकमा सोशल फोरम के तत्वाधान में प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री से कहा कि समुदाय को पिछली करीब आधी सदी से नागरिकता के अधिकारों से वंचित रखा गया है और वह इसे लेकर हस्तक्षेप करें।

चकमा समुदाय ने एक सहमति ज्ञापन में सिंह से कहा कि 1964-68 के दौरान करीब 15,000 चकमा तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के चटगांव पर्वतीय क्षेत्रों से भाग आए थे।

भारत आने के बाद वे तत्कालीन नॉर्थईस्टर्न फ्रंट एजेंसी नेफा में बस गए, जो इस समय अरूणाचल प्रदेश है।

प्रतिनिधिमंडल ने दावा किया कि तब से उच्चतम न्यायालय के विशिष्ट निर्देशों के बावजूद अरुणाचल प्रदेश में रहने वाले एक भी चकमा प्रवासी को नागरिकता अधिकार नहीं दिए गए।

बाद में एक दूसरी रिट याचिका के बाद उच्चतम न्यायालय ने 17 सितंबर की तारीख वाले अपने फैसले में भारतीय संघ और अरूणाचल प्रदेश सरकार को नागरिकता के आवेदनों पर ध्यान देने का निर्देश दिया।

ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया कि नागरिकता के मानदंड पूरे करने के बावजूद नागरिकता देने के लिए किसी भी चकमा प्रवासी के आवेदन की सिफारिश नहीं की गई।

प्रतिनिधिमंडल के अनुसार इस वजह से चकमा पहचान पत्र ना होने के कारण अपने गांवों से बाहर नहीं निकल सकते क्योंकि पहचान पत्र होना जरूरी है और मौजूदा सुरक्षा हालात को देखते हुए यह अपरिहार्य है।

उन्होंने मंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय में दो विशेष अधिकारी नामित करने के लिए कहा जो उनके मुद्दों को उठाएं और उनका जल्द निपटान सुनिश्चित करें।

एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि सिंह ने उनसे कहा कि वे गृह मंत्रालय में उनका मामला उठाएंगे और मुद्दे पर उसका रूख मांगेंगे।



 

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