द्रविड़ शैली में बनाया गया है ये मंदिर

Samachar Jagat | Saturday, 26 Nov 2016 03:40:02 PM
Padmanabhaswamy temple Is built in the Dravidian style

तिरुवनंतपुरम शहर के बीच में स्थित है श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर। इस मंदिर को बहुत ही खूबसूरती से द्रविड़ शैली में बनाया गया है। मंदिर में भगवान विष्णु वास करते हैं, यहां भगवान विष्णु, ब्रह्मांडीय नागिन अनाथन पर सहारा लेकर विराजमान की मुद्रा में हैं। इस शहर को इस मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर में भगवान विष्णु की पत्नियां श्रीदेवी और भूदेवी भी उनके साथ हैं।

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मंदिर की देख-रेख त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार द्वारा की जाती है। पद्मनाभ स्वामी की मूर्ति मंदिर का मुख्य आकर्षण है। मंदिर 12,000 सालिग्रामों से बना है और यह “कतुसर्करा योगम“ से ढंका हुआ है। इस मंदिर की कुल संपत्ति लगभग 1,32,000 करोड़ है, जिसमें सोने की मूर्तियां, सोना, पुरानी चांदी, हीरे, पन्ने और पीतल शामिल है। इस खज़ाने में कीमती पत्थरों से जड़ें दो स्वर्ण नारियल के गोले भी हैं। हर 6 साल में एक बार मन्दिर में 56 दिन तक चलने वाले मुराजपम का आयोजन किया जाता है।

इसको खोलने और ना खोलने पर विचार-विमर्श हो रहा है, इस सातवें द्वार पर किसी तरह की कुंडी या नट वोल्ट नहीं लगा है। इस दरवाजे पर सिर्फ दो सांपों का प्रतिबिंब बना हुआ है, जिसको इस द्वार का रक्षक बताया जाता है। यही दोनों सर्प इस द्वारा पर पहरा देते हैं और रक्षा करते हैं। इस द्वार की विशेषता यह है कि यह द्वार सिर्फ मंत्रोच्चारण से खुल सकता है। उसके अलावा इसको खोलने का और कोई रास्ता नहीं है। इस द्वार को खोलने के लिए ‘गरुड़ मंत्र’ का प्रयोग स्पष्ट व साफ शब्दों में किसी सिद्ध पुरूष के माध्यम से कराना होगा। मंत्रोच्चारण साफ और स्पष्ट न होने पर उस पुरुष की मृत्यु भी हो सकती है।

त्रावणकोर राजपरिवार के मुखिया तिरुनल मार्तंड वर्मा ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए गए साक्षात्कार में कहा है कि उनका पूरा जीवन इस मंदिर की देखभाल में बीता है। साथ ही सातवें द्वार को खोले जाने पर देश में प्रलय आ सकती है, इसलिए इस द्वार को ना खोलें। इसका रहस्य ही बना रहने देना सही है। इस मंदिर का रखरखाव करने वाले त्रावणकोर शाही खानदान के लोगों का मानना है कि इस तहखाने को खोलने से अपशकुन हो सकता है। राज परिवार के एक सदस्य़ का तो ये भी कहना है कि सातवें तहखाने में एक गुप्त सुरंग मौजूद है जो सीधे समंदर में जाकर खुलती है। इस तहखाने में कई ऐसे राज दफन हैं जिसके तिलिस्म को तोड़ना अच्छा नहीं है।

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राज परिवार की ये भी दलील है कि इस मंदिर से कई लोगों की आस्था जुडी़ है इसलिए किसी भी हाल में सातवें तहखाने की लोहे की दीवार को तोड़ना उचित नहीं होगा। इस तहखाने की दीवार लोहे की इसलिए बनाई गई है कि उससे पूरे मंदिर को सपोर्ट मिल सके और अगर इस लोहे की दीवार के साथ छेड़छाड़ की गई तो हो सकता है कि मंदिर की नींव कमजोर पड़ जाए और मंदिर भरभराकर गिर पड़े। मंदिर के रिकॉर्ड के अनुसार ये तहखाना आखिरी बार 136 साल पहले खोला गया था और इसके अंदर क्या है इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है।

इस तहखाने के अंदर छठे तहखाने से भी बड़ा खजाना छिपा है और शायद इसलिए राजपरिवार अब इसे एक राज ही रखना बेहतर समझ रहा है और अपशकुन और मंदिर के भरभराकर गिर जाने जैसी अफवाहें फैलाई जा रही हैं। देखना दिलचस्प होगा कि आखिर क्या छिपा है सातवें तहखाने में और कैसे टूटेगा आखिरी तहखाने का तिलिस्म।

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