मुहर्रम 2025: इस्लामिक नए साल की शुरुआत और शहादत का पवित्र महीना – जानें तारीख, महत्व और मातम की परंपराएं

epaper | Monday, 16 Jun 2025 01:21:36 PM
Muharram 2025: Start of Islamic New Year and holy month of martyrdom – know date, significance and mourning traditions

मुहर्रम 2025: 27 जून से शुरू होगा मातम और इबादत का महीना, जानिए अशूरा की तारीख और इसका महत्व
मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना होता है, जिससे इस्लामिक नववर्ष की शुरुआत होती है। यह महीना केवल एक नयी शुरुआत का प्रतीक ही नहीं है, बल्कि करबला की ऐतिहासिक घटना की याद में मातम, इबादत और कुर्बानी का प्रतीक भी है। वर्ष 2025 में भारत में मुहर्रम 27 जून से शुरू होने की संभावना है, जबकि 10वें दिन यानी अशूरा 6 जुलाई 2025 को पड़ सकता है। हालांकि अंतिम तारीख चांद दिखने के बाद ही तय की जाएगी।


???? मुहर्रम 2025 की तारीखें (भारत में):

  • मुहर्रम शुरू होने की संभावित तारीख: शुक्रवार, 27 जून 2025

  • अशूरा (10वां दिन): रविवार, 6 जुलाई 2025 (चंद्रदर्शन पर आधारित)


???? मुहर्रम है त्योहार या महीना?

अक्सर लोग यह पूछते हैं कि क्या मुहर्रम कोई त्योहार है? इसका उत्तर है — मुहर्रम एक महीना है, न कि त्योहार। यह इस्लामी कैलेंडर का पहला और सबसे पवित्र महीनों में से एक है। हालांकि इसमें “अशूरा” नामक एक महत्वपूर्ण दिन होता है, जिसे विशेष रूप से याद किया जाता है।

इस दिन कर्बला की जंग में हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों ने अन्याय के खिलाफ खड़े होते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। इसी शहादत की याद में मुस्लिम समुदाय इस पूरे महीने विशेषकर 10वें दिन मातम करते हैं।


???? क्यों मनाया जाता है मुहर्रम मातम के साथ?

मुहर्रम को जश्न के रूप में नहीं मनाया जाता, बल्कि यह ग़म, इबादत, और बलिदान का प्रतीक है। हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानी इस्लाम में इंसाफ, सच्चाई और इंसानियत के लिए खड़े होने की मिसाल बन गई।

  • शिया मुस्लिम समुदाय इस दौरान मजलिसें आयोजित करते हैं, जिनमें कर्बला की घटना का वर्णन किया जाता है।

  • ताज़िये निकाले जाते हैं, जो इमाम हुसैन की कब्र का प्रतीक होते हैं।

  • बहुत से लोग रोज़ा रखते हैं, काले कपड़े पहनते हैं और अपने ग़म का इज़हार करते हैं।


???? मुहर्रम का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व:

  • यह चार पवित्र महीनों में से एक है, जिनमें युद्ध या हिंसा की मनाही होती है।

  • अशूरा के दिन, हज़रत इमाम हुसैन ने सत्य के लिए अपने पूरे परिवार के साथ शहादत दी।

  • यह घटना केवल इस्लामी इतिहास ही नहीं, बल्कि वैश्विक रूप से बलिदान और न्याय की मिसाल मानी जाती है।


???? विश्व भर में मुहर्रम की परंपराएं:

  • भारत: शिया समुदाय बड़े पैमाने पर मातमी जुलूस निकालता है।

  • ईरान, इराक: ताज़ियों के साथ मातम और इमामबाड़ों में विशेष दुआओं का आयोजन।

  • पाकिस्तान, लेबनान, बहरीन: अशूरा के दिन सार्वजनिक छुट्टी और विशेष मजलिसें।


⚠️ जरूरी सूचना:

मुहर्रम की तिथियां चंद्रमा के दर्शन पर आधारित होती हैं। इसलिए ये तारीखें बदल सकती हैं। साथ ही, यह लेख धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। इससे संबंधित निर्णय लेने से पहले किसी इस्लामी विद्वान से सलाह अवश्य लें।


मुहर्रम केवल एक कैलेंडर की शुरुआत नहीं है, यह इंसानियत, सच्चाई, और बलिदान की याद का महीना है। इमाम हुसैन की शहादत आज भी लोगों को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा देती है। 2025 में जब मुहर्रम का महीना शुरू हो, तो आइए हम भी अपने जीवन में सच्चाई और इंसाफ को अपनाने का संकल्प लें।



 


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