Blood Cancer Patient : अपनी मां को खोज रहे है दो मासूम बच्चे, इनकी मैया मौत के करीब है

Samachar Jagat | Tuesday, 30 May 2023 11:59:18 AM
Blood Cancer Patient : Two innocent children are searching for their mother, their mother is near death

जयपुर। शहर के एक प्राइवेट कैंसर  हॉस्पिटल में बेहद मार्मिक केस उपचारित है। अफसोस की बात यह है की राजेश्वरी एक खरतांक किस्म का ब्लड कैंसर है ,जिसे मेडिकल भाषा में एक्यूट मैलोयाद ल्यूकेमिया के नाम से जाना जाता है।यह बीमारी बेहद खतरनाक है। पहले इसका कोई इलाज नहीं था, मगर अब यह खत्म तो नहीं होंसकता,मगर इसके  विश्राम पर लगाम लगाई जा सकती है।

राजेश्वरी का जहां तक सवाल है,वह इसकी  पहली स्टेज पर  है। यदि टाइम पर इसका उपचार हो जाए तो परिणाम पेसेंट के पक्ष में आ सकते है।मगर समस्या से जंग इतना आसान भी नहीं है। इस रोग का उपचार मंहगा बहुत है। राजेश्वरी के पति ने कुछ समय तक इसके इलाज का खर्च उठाया।  मगर पति को  जब इस बात का पता चला की उसकी बीबी ब्लड कैंसर की शिकार है तो उसे तलाक देकर मरने के लिए छोड़ दिया है। इनके दोनों मासूम बच्चे सहारे के अभाव में भटक रहे है। उनके रहने और खाने पीने की समस्या है।

इनकी मां का हाल यह है की वह कुछ भी बोल नहीं पा रही है। बार बार जांझोर ने के बाद बस मामूली सी आंखें खोल ती है, इसके अलावा कोई और रिस्पॉन्स नहीं दे रही है। कभी कभी  अहसास होता है कि वह जिंदगी की जंग में पिछड़ने लगी है। हर दिन उसे डर सताता है , आज का दिन आखरी है। घबराई सी परेशान कुछ कहना चाहती है। मगर मौत के दूतों ने घेर लिया है। किसी भी समय उसे परलोक ले जाया जा सकता है।

राजेश्वरी की चुप्पी को लेकर, चिकित्सकों का कहना है कि पेसेंट सेमी अन कॉन्सिस है। कभी कभार हाथ के इशारों में संकेत देना चाहती तो है कि अपने बच्चों को, मेरे करीब लाए,इन्हे वह सीने से लगाना चाहती है। मगर लोग उसके भावों को ठीक से समझ नहीं पा रहे है। दो दिन पहले ही दोनों बच्चों को उसके करीब ले जाया गया था। तब उसके हाथों में हलचल हुई थी। आंखों में आसूं जरूर झलके थे। रहा सवाल बच्चों का, इनमे रेणु का   नाक नक्सा उसकी मां  पर गया है।

राजा देवी का चेहरा गोलाई लिए हुए है। गोलाकार आंखों के ऊपर गहरे लाल रंग की बिंदी और  उसके ठीक उपर किसी पूजा स्थल से लाई गई राख से   श्रंगार किया गया है।राजेश्वरी के बुरे दिनों की शुरुआत तेज बुखार के साथ हुई थी। कोई भी दवा असर नहीं कर रही थी। कुछ दिन बाद उसकी चमड़ी का रंग पीला पड़ गया था। रक्त गणना लगातार गिर रही थी।  इस पर उसे  हॉस्पिटल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने फुर्ती दिखाई और उसका तुरंत परीक्षण किया। कई तरह की जांचे की गई थी।

चार पांच घंटे बाद उसे ब्लड कैंसर की पुष्टि हुई। राजेश्वरी को आभास तो हुआ था कि वह किसी घातक रोग की शिकार हो चुकी है। मगर अपने मन की पीड़ा प्रदर्शित नहीं कर पा रही थी। राजेश्वरी के पति का बिहेव बड़ा शर्मनाक था। बात जब पैसों की व्यवस्था की बात सामने आई तो वे पीछे हट गए। सबसे पहले  उन्होंने हॉस्पिटल आना छोड़ दिया। बाद में तलाक का लीगल नोटिस थमा दिया। अधर झूल में पड़ी इस बेबसा को उसके  बूढ़े मां बाप ने ही सम्हाला। घर का सामान बेच डाका। मगर इससे एक दिन की डोज का ही इंतजाम हो सका।

बेहोशी के पूर्व वह यह बात अक्सर कहा करती थी कि मुझे मौत से भय नहीं लगता। मगर दोनों बच्चों की चिंता थी।  कौन संभालेगा। आखिर आंसू पोछने वाला तो कोई हो चाहिए। फिर ये  आंसू चाहे इंसान के हों या फिर जानवर के ये बाहर तभी आते है जब दिल में बहुत दर्द होता है। यही दर्द जो हर मोड़ पे मिलता है मगर क्यू ? कहीं ये राजो के दीवाने तो नहीं।

राजेश्वरी की हालत दिन पर दिन बिगड़ती गई। कीमोथेरेपी के बाद उसके मुंह में छाले हो गए थे इनसे रोटी चबाना तो दूर पानी निगलना मुस्किल हो गया था। डॉक्टर से बात हुई तो उनका कहना था की इस बीमारी का ई लाज है, मगर उसमें पच्चीस लाख का खर्च है। राजेश्वरी की  आर्थिक हालत बहुत खराब है। विशेषकर पति का साथ छूट गया।राजेश्वरी के मां बाप कमजोर और बूढ़े हो चुके है। परिवार में कमाने वाला कोई भी नहीं है। किसी भी अंजियो और सरकार से कोई मदद नहीं मिली है। क्या करें। उसकी परेशानिया उसे चैन से मरने नहीं देती।



 


Copyright @ 2024 Samachar Jagat, Jaipur. All Right Reserved.