जयपुर। ट्रांसजेंडर को लेकर दुनियां भर में हंगामा मचता रहता है। समाज में इन्हे अलग ही आइटम के रूप में जाना जाता है। इसके चलते उन्हें समय समय पर परिहास का सामना करना पडता है। कई बार तो इनके साथ ज्यादती भी देखने को मिल जाती है। किन्नरों की योग्यता का उचित लाभ उठाए जाने और इनके साथ होने वाली ज्यादतियो को रोकने के लिए अब अनेक कदम उठाए गए है, फार्म्स में महिला पुरुष के साथ साथ ट्रांसजेंडर का अलग से ऑप्शन भी दिया जाने लगा है। इसके अलावा इनके लिए पब्लिक टॉयलेट अलग से बनाए जा रहे है। मगर अनेक बार समस्या इनके किए अलग से जेल की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। इसी के चलते कई बार हंगामें के मामले देखे जा रहे है।
इसी तरह का एक मामला हाल ही में देखने को मिला है। जेम्स नामक एक किन्नर की व्यथा हैरान करने वाली है। वह बताता है,उसका अपना भरा पूरा परिवार है। मां बाप के अलावा भाई बहन है। बचपन में मुझे ट्रांसजेंडर के बारे में जानकारी नहीं थी। माता पिता ने उसे लडका मान कर मेरा पालन पोषण किया। बहनों की तुलना में मुझे अधिक प्यार मिला। मेरी परेशानी की शुरुआत तब शुरू हुई जब मेरी उम्र बारह साल के पार हो गई। मेरे शरीर में परिवर्तन होने लगे। मैं अपने आप को लड़की मानने लगा। परिवार जनों ने मुझे लडकों के साथ रहने को कहा। मगर मैने इसे स्वीकार नहीं किया । मेरे बदले व्यवहार के चलते मुझे स्कूल से निकाल दिया। मैं पढ़ाई लिखाई में अच्छा होने पर, सी ए की परीक्षा देना चाहता था। मगर मेरे शरीर में हुवे परिवर्तन के चलते मेरी पढ़ाई लिखाई छूट गई। हर कोई मुझ से नफरत करने लगा था। मुझे प्यार और सम्मान की भूख थी।
अफसोस यह था कि मेरे साथ मानवीय व्यवहार नहीं किया जा रहा था। मैं क्या करता। किससे संपर्क करता तभी मैरी मुलाकात मुझ जैसी समस्या वाले कुछ लोगों से मुलाकात हुई। फिर उनके साथ ही रहने लगा था। मगर किन्नरों के इस आश्रम में मेरी संगत गलत काम करने वाले किन्नरों से हो गई। उनके साथ ही अफ़ीम गांजा पीने लगा। मेरी आदतों से परेशान हो कर जेंडर समाज ने भी मुझे ठुकरा दिया। नशे के आइटमों को खरीदने के लिए चोरिया करने लगा। इसी के चलते मुझे जेल तक जाना पड़ा। वहां समस्या यह बन गई की मुझे पुरुष या महिला में से किसकी कोठरी में रखा जाय। आरंभ में मुझे लेडीज का बाडा मिला। मेरे दिन आराम से बीतने लगे। तभी हंगामा हो गया। वहां बंद दो महिलाएं गर्भवती हो गई। जेल प्रशासन तक यह बात गई तो वे भी हैरान रह गए। लेडीज बाड़े में मैं अकेला किन्नर था ।
हर कोई मुझसे मिलना चाहता था। मेरी जांचें हुई तो पता चला की मुझ में आदमियों के गुण मौजूद थे। आखिर फैसला हुवा कि मुझे पुरुषों के साथ रखा जाने लगा। 27 साल के डेमी माइनर के अलावा वहां 27 महिला कैदी भी सजा काट रही थी। अधिकारियों ने जब उनसे पूछताछ की तो वे बोली कि ट्रांसजेंडर के साथ उनके अफेयर थे। अब वे भी फंस गई। मेरे ट्रांसजेंडर के साथ उन महिला कैदी पर भी केश चलेगा। क्यू की जेल में किसी भी तरह का रिश्ता इलीगल है। सच पूछो तो जेल में ट्रांसजेंडर के साथ ज्यादती होती है। उनके साथ न चाहते हुवे भी इलिगल सेक्स होता है।
जब कोई इसका विरोध करता है तो उसे मरा पीटा जाता है। मुझे न्याय चाइए।मगर कौन दिलाएगा मुझे न्याय। हमारी मदद सरकार के अलावा मानव अधिकार संस्थाएं भी खामोश है। समझ में हमारी हालत जानवरों से भी बदतर है। पिछली बार मुझे पुरुष जेल में जब डाला गया तो अनेक एंजियो से संपर्क हुवा। सभी नाटकीय शनुभूति के अलावा कुछ भी तो नहीं मिला। मेरे साथ रेप होगया, मगर जेल प्रशासन हंसता रहा। मुझे अभी २९ साल की सजा और काटनी है। इस तरह तो वह कुछ समय ही जिंदा रह पाएगा।